
रविंद्र धंगेकर (सौ. सोशल मीडिया )
Pune Municipal Election: पुणे की राजनीतिक फिजा उस वक्त अचानक गरमा गई, जब शिवसेना के महानगर प्रमुख रविंद्र धंगेकर ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार से उनके ‘जिजाई’ बंगले पर मुलाकात की।
इस बैठक में धंगेकर के साथ उनके करीबी समर्थक और कुछ स्थानीय नेता भी मौजूद थे। मुलाकात के बाद से शहर के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या धंगेकर अपने वर्तमान राजनीतिक समीकरणों पर पुनर्विचार करने जा रहे हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, हाल ही में हुए भाजपा-शिवसेना सीट बंटवारे की बैठकों में धंगेकर की भूमिका लगभग नजरअंदाज की गई। बताया जा रहा है कि उन्हें न तो निर्णायक चर्चाओं में शामिल किया गया और न ही उनके परिवार के लिए टिकट की मांग पर सहमति बनी। इस उपेक्षा से नाराज होकर धंगेकर ने अजित पवार से संवाद का रास्ता चुना, जिससे संभावित राजनीतिक बदलावों की अटकलें और तेज हो गई हैं।
स्थानीय निकाय चुनावों की हलचल के बीच भाजपा ने भी अपने फैसलों से सियासी संकेत दिए हैं। पार्टी ने टिकट वितरण को लेकर गोपनीय रणनीति अपनाते हुए चुनिंदा उम्मीदवारों को सीधे फोन कर एबी फॉर्म सौंपना शुरू किया है। इसी क्रम में कोथरूड विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा एक अहम फैसला सामने आया है।
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भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल के भाई श्रीधर मोहोल को टिकट न देकर सबको चौंका दिया। इस निर्णय को पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन के नए संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। कोथरूड क्षेत्र में चंद्रकांत पाटिल, मेधा कुलकर्णी और मुरलीधर मोहोल के प्रभाव को लेकर पहले से चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आती दिख रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में पुणे की राजनीति में और भी बड़े घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।






