
देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: महाराष्ट्र की राजनीति में एक दिलचस्प मोड़ आ गया है। राज्य की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-अजीत पवार गुट) ‘महायुति’ के रूप में एक साथ हैं, लेकिन आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में दोनों प्रमुख दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस संबंध में स्थिति स्पष्ट कर दी है। पुणे में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने घोषणा की है कि भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) का गठबंधन अधिकतर स्थानों पर बना रहेगा, लेकिन अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ चुनावी युति (गठबंधन) नहीं होगी।
इस घोषणा के बाद अब यह तय हो गया है कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड महानगर पालिका (मनपा) चुनावों में भाजपा और एनसीपी आमने-सामने होंगे। हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पुणे के संबंध में उनकी अजीत पवार के साथ चर्चा हुई है और यह तय हुआ है कि दोनों पार्टियां आमने-सामने लड़ेंगी, लेकिन यह लड़ाई दोस्तान होगी।
सीएम फडणवीस ने पुणे में भाजपा द्वारा किए गए विकास पर विश्वास जताते हुए कहा कि जनता उन्हें फिर से मौका देगी। पिपरी-चिंचवड की बदलती राजनीति पर भी उन्होंने बात की, जहां 2017 के चुनाव में भाजपा ने अजीत पवार के गढ़ में सेंध लगाई थी और सत्ता पलट दी थी।
फडणवीस ने दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप और भोसरी के विधायक महेश लांडगे को समर्थन दिया था। इसके बाद भाजपा के नगरसेवकों की संख्या चीन से बढ़ाकर 77 तक हो गई। वर्तमान में, अजीत पवार के अण्णा बनसोडे एकमात्र विधायक है, जबकि शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीरंग बारणे एकमात्र सांसद हैं।
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उन्होंने जोर देकर कहा कि मुंबईकरों ने भाजपा और शिक्सेना के काम और मराठी मानुष के हित को देखा है, इसलिए वे महायुति की ही चुनेंगे। 19 दिसंबर को मराठी व्यक्ति के प्रधानमंत्री बनने के पृथ्वीराज चव्हाण के बयान पर फडणवीस ने कटाक्ष करते हुए कहा कि एक वरिष्ठ नेता को ऐसे ‘दिव्य ज्ञान’ होने लगे, तो उन्हें लगता है कि कुछ गड़बड़ी है।






