पुणे-पिंपरी चिंचवड़ रिंग रोड परियोजना (pic credit; social medika)
Maharashtra News: पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ क्षेत्र की बहुप्रतीक्षित रिंग रोड परियोजना अब वास्तविकता के करीब पहुंच गई है। 25 साल तक केवल कागजों पर अटकी रही इस योजना का 98 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है, जबकि शेष 2 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण भी जल्द पूरा होने की उम्मीद है।
रिंग रोड का प्रस्ताव सबसे पहले 25 नवंबर 1997 को पुणे जिला क्षेत्रीय योजना में रखा गया था। इसका उद्देश्य पुणे शहर और पिंपरी-चिंचवड़ की आंतरिक सड़कों पर यातायात का दबाव कम करना और बाहरी शहरों से आने वाले भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराना था। कानूनी और प्रशासनिक अड़चनों के चलते यह योजना वर्षों तक ठप रही। अब भूमि अधिग्रहण लगभग पूरा होने से परियोजना कार्यान्वयन की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा है।
पीएमआरडीए की योजना के अनुसार रिंग रोड का स्वरूप वलयाकार (सर्कुलर) होगा और इसकी कुल लंबाई लगभग 170 किलोमीटर रहेगी। इसमें से 82.38 किलोमीटर का मार्ग सीधे तौर पर 40 गांवों को जोड़ेगा। परियोजना को दो खंडों में विकसित किया जाएगा—पूर्वी खंड 101 किलोमीटर और पश्चिमी खंड 69 किलोमीटर का होगा। इसके लिए कुल 1,763 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें से अधिकांश अधिग्रहण संपन्न हो चुका है।
पहले चरण में सोलू से वडगांव शिंदे तक का हिस्सा शामिल किया गया है। इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है और लगभग 900 करोड़ रुपये की लागत अनुमानित है। अधिकारियों का कहना है कि डीपीआर पूरी होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा, जिसे पूरा होने में करीब ढाई साल का समय लगेगा।
रिंग रोड के पूरा होने पर पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ की यातायात व्यवस्था को बड़ी राहत मिलेगी। भारी वाहन शहर से बाहर रखे जा सकेंगे, जिससे जाम की समस्या कम होगी। साथ ही औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों को नई ऊर्जा मिलेगी। एमएसआरडीसी द्वारा प्रस्तावित इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत भूमि अधिग्रहण सहित 11,000 करोड़ से 42,000 करोड़ रुपये तक आंकी गई है। निर्माण शुरू होते ही 25 वर्षों से अधूरा सपना हकीकत बनने की ओर बढ़ेगा।