
पुणे रिंग रोड प्रोजेक्ट (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: पुणे मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (PMRDA) ने लंबे समय से प्रतीक्षित पुणे इनर रिंग रोड परियोजना के विकास की रूपरेखा सार्वजनिक कर दी है। 83.12 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को सात चरणों में पूरा करने की योजना बनाई गई है।
फिलहाल भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया केवल पहले चरण के लिए शुरू हो सकी है, जिससे परियोजना की गति और पूर्णता को लेकर नागरिकों और विशेषज्ञों में संदेह गहराने लगा है। यह रिंग रोड पुणे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुगम बनाने और बाहरी क्षेत्रों से संपर्क को बेहतर करने के उद्देश्य से तैयार की जा रही है।
पीएमआरडीए के अनुसार परियोजना पूरी होने पर यह शहर के चारों ओर एक आंतरिक घेरा तैयार करेगी, जिससे भारी वाहनों को शहर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और प्रमुख मार्गों पर जाम की स्थिति में उल्लेखनीय कमी आएगी।
शहरी नियोजन विशेषज्ञों और नागरिकों का मानना है कि परियोजना का सात चरणों में विभाजन उसकी गति को धीमा कर देगा। कई लोग इसे “एकल परियोजना के बजाय 25 साल की योजना बता रहे हैं। उनका कहना है कि पीएमआरडीए का अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड यह संकेत देता है कि कार्यान्वयन में विलंब होना लगभग तय है।
पुणे मेट्रो, हडपसर रोड विस्तार और कई अन्य परियोजनाओं के उदाहरण देते हुए नागरिक संगठनों ने कहा कि पीएमआरडीए की योजनाएं अक्सर घोषणा के स्तर पर ही सीमित रह जाती है। अगर समयबद्धता और वित्तीय अनुशासन नहीं रखा गया तो रिंग रोड भी लंबी प्रतीक्षा का शिकार हो जाएगी।
इन सात चरणों में से फिलहाल केवल पहले चरण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। बाकी छह चरणों के लिए आवश्यक स्वीकृतियां, वित्तीय प्रावधान और भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हुई है।
अधिकारियों ने बताया कि परियोजना के लिए आवश्यक पर्यावरणीय स्वीकृति और धनराशि प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी है। भूमि अधिग्रहण का कार्य पहले चरण से शुरू किया गया है ताकि प्राथमिक हिस्से पर निर्माण कार्य जल्द आरंभ हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि शेष चरणों के लिए निजी और सरकारी भागीदारी (PPP मोड) पर विचार किया जा रहा है।
यदि यह रिंग रोड निर्धारित समय में पूरा होता है, तो यह पुणे के परिवहन नेटवर्क के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। इससे शहर में भारी वाहनों की आवाजाही कम होगी। औद्योगिक बेल्ट तक पहुंच आसान होगी और उपनगरीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। लेकिन, मौजूदा स्थिति देखकर विशेषज्ञों का कहना है कि परियोजना की जमीनी प्रगति बेहद धीमी है।
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जब तक सातों चरणों के लिए ठोस नीति, बजट और समन्वय सुनिश्चित नहीं किया जाता तब तक यह परियोजना कागजों तक ही सीमित रहने का खतरा झेलती रहेगी। पुणे के नागरिक अब यह देखने को उत्सुक हैं कि पीएमआरडीए इस बार अपने वादों को कितना ठोस रूप दे पाता है, क्योंकि इस रिंग रोड पर न केवल शहर की ट्रैफिक राहत निर्भर है, बल्कि आने वाले दशकों का शहरी ढांचा भी।






