फड़के सावन सोमवार (सौ.सोशल मीडिया)
पुणे: महाराष्ट्र में आज सावन का चौथा सोमवार मनाया जा रहा है। इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा विधि-विधान के साथ कर रहे हैं तो वहीं राज्य के कई प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन के लिए भक्त पहुंच रहे है। पुणे शहर में भगवान शंकर के कई ऐतिहासिक मंदिर हैं. कुछ प्राचीन मंदिर आज भी अपनी पहचान बरकरार रखे हुए हैं. इन्हीं प्राचीन शिव मंदिरों में से एक फड़के महादेव मंदिर है। यह पेशवाकालीन मंदिर पुणे के रविवार पेठे में स्थित है. बेहतरीन वास्तुकला का नमूना यह मंदिर कई भक्तों के लिए अज्ञात है।
यदि किसी मंदिर की सामने वाली छवि में शिव परिवार या संभवतः गणपति हैं तो इसे भगवान शंकर या भगवान शिव परिवार का मंदिर माना जाता है. वहीं यदि मस्तक पर गरुड़ या गजलक्ष्मी अंकित हो तो वह भगवान विष्णु का मंदिर माना जाता है. इस फड़के महादेव मंदिर के गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग है. उसके चारों ओर एक तांबे का नाग है. इसके साथ ही पीछे माता पार्वती और गणपति और कार्तिकेय की मूर्तियां हैं।
आपको बताते चलें कि, पुणे के मध्य भाग में फड़के महादेव मंदिर वाडा संस्कृति के पदचिह्नों को संरक्षित करता हुआ खड़ा है. फड़के हौद के पास स्थित इस महादेव मंदिर का निर्माण फड़के परिवार द्वारा करवाया गया था. लेकिन, उनमें से कोई भी अब मौजूद नहीं है. यह एक पेशवाकालीन मंदिर है। लकड़ी का प्रवेश द्वार इसका प्रमाण है।
पुणे का एकमात्र भगवान शिव परिवार मंदिर (सौ.सोशल मीडिया)
पूरे किले के मध्य में स्थित यह मंदिर एक लकड़ी की संरचना से बनी हुई है. अंदर एक गर्भगृह, एक सभा कक्ष और एक प्रदक्षिणा पथ है. लकड़ी के सभागार में बैठने की एक बड़ी जगह है. साथ ही, मंदिर की परिक्रमा के लिए एक लकड़ी की छत और एक रास्ता भी है. इस रास्ते के आरंभ और अंत में एक सुंदर लकड़ी का मेहराब है. इस मेहराब के कारण मंदिर की सुंदरता और अधिक निखर कर सामने आती है.
मंदिर में एक मध्यम आकार का गर्भगृह है. इस मंदिर में हाल ही में शिव के वाहन नंदी को एक लकड़ी की गाड़ी पर बैठाया गया है.नंदी का आकार छोटा है. नंदी को एक ही काली चट्टान में उकेरे गए हैं. वहीं, एक तरफ पोत्सुला गणपति की मूर्ति है और दूसरी तरफ विट्ठल रुक्मिणी की पत्थर की मूर्ति है. गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले माथे पर पत्थर के गणेश की नक्काशी की जाती है. सामने की छवि पर मौजूद देवताओं से कोई भी आसानी से पहचान सकता है कि यह मंदिर किस देवता का है।
यदि किसी मंदिर की सामने वाली छवि में शिव परिवार या संभवतः गणपति हैं तो इसे भगवान शंकर या भगवान शिव परिवार का मंदिर माना जाता है. वहीं यदि मस्तक पर गरुड़ या गजलक्ष्मी अंकित हो तो वह भगवान विष्णु का मंदिर माना जाता है. इस फड़के महादेव मंदिर के गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग है. उसके चारों ओर एक तांबे का नाग है. इसके साथ ही पीछे माता पार्वती और गणपति और कार्तिकेय की मूर्तियां हैं.
पुजारियों के अनुसार, गर्भगृह के भीतर पूरे शिव परिवार की मौजूगी वाला पुणे में यह एकमात्र मंदिर है. हालांकि मंदिर की वास्तुकला प्रसन्ना और पेशवाओं के युग की है. इसके चारों ओर बड़ी-बड़ी इमारतों के निर्माण के कारण मंदिर ढक गया है।