पुणे: अत्याधुनिक मशीनरी, बेस्ट योजना, समर्पित भावना से काम करने वाली नर्सेस, कर्मचारियों और डॉक्टरों की लगातार मेहनत से पिछले पांच वर्षों में 12 हजार बच्चों को नई संजीवनी मिली है। जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त करने वाला ससून हॉस्पिटल (Sassoon Hospital) का शिशु विभाग (Children Department) लगातार सक्रिय है। अपने बच्चों के पुर्नजन्म की खुशी माताओं के चेहरे पर देखकर संतोष मिलता है। यह राय ससून हॉस्पिटल के डीन डॉ. विनायक काले (Dean Dr. Vinayak Kale) ने व्यक्त की है।
फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज और उसके सीएसआर पार्टनर मुकुल माधव फाउंडेशन (Mukul Madhav Foundation) की सहायता से 2017 में ससून हॉस्पिटल के बालरोग विभाग में नवजात शिशु आईसीओ बनाया गया था। इस एनआईसीयू के पांच वर्ष पूरे हो चुके है। इसके उपलक्ष्य में विभाग की तरफ से सेलीब्रेशन किया गया। इस मौके पर कई अभिभावकों ने अपने बच्चों के साथ हॉस्पिटल पहुंचे। इस मौके पर मैनेजिंग ट्रस्टी रितू प्रकाश छाब्रिया, डॉ. अजय तावरे, डॉ. विजय जाधव, विभाग प्रमुख डॉ. आरती किणीकर, पुष्पा मारकड, फाउंडेशन की यास्मिन शेख, जीतेंद्र जाधव उपस्थित थे। एनआईसीयू के सभी डॉक्टर्स, नर्सेस ने इस कार्यक्रम की योजना बनाई थी। उपस्थित अभिभावकों ने सभी के प्रति आभार जताया। इन्हें ससून की तरफ से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
डॉ. किणीकर ने कहा कि कोई भी अच्छी चीज टीम वर्क की वजह से सफल होती है। प्रत्येक के योगदान के कारण हजारों बालकों को समक्ष बनाने में सफलता मिली है। ससून हॉस्पिटल के स्वास्थ्य सेवा पर लोगों का विश्वास दृढ़ होता है। इसकी खुशी है। महाराष्ट्र सरकार ने इस यूनिट को राज्य का सर्वोकृष्ट यूनिट के रूप में मान्यता दी है।
रितू छाब्रिया ने कहा कि एनआईसीयू के जरिए बालकों को सक्षम बनाने का आनंद है। दानदाताओं के सहयोग से नेत्र चिकित्सालय, डेंजल लेजर यूनिट की स्थापना की गई है। ससून लेजर यूनिट वाला पहला सरकारी हॉस्पिटल है। डेढ़ हजार से अधिक मरीजों ने इस सेवा का लाभ उठाया। 50 से अधिक मरीजों को नए दांत लगाए गए। इसके अलावा आपातकालीन ट्रॉली बेड, बेड स्प्रेड वाली गद्दी, तकिए, ब्लैंकेट, चादर (सोलापुर चादर) और बहुत कुछ दान किया है। इसी तरह से अप्रैल 2918 में अत्याधुनिक लीवर ट्रांसप्लाटेशन यूनिट की स्थापना की गई है। इस तरह की स्थापना करने वाला यह पहला सरकारी यूनिट है।