गेंदा फूल का खेत (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pune Marigold Plant Scam News: पुणे में गेंदे के पौधे तैयार करने वाली एक कंपनी द्वारा किसानों को कथित तौर पर खराब पौधे बेच कर ठगी करने का मामला सामने आया है। यह ठगी की घटना पुणे जिले के हवेली, दौंड और पुरंदर तहसील के 50 से अधिक किसानों के साथ हुई है। जब पीड़ित किसानों ने इस धोखाधड़ी को लेकर मदद मांगी तो संबंधित कंपनी ने अपने हाथ खड़े कर दिए।
इस मामले में एक किसान ने हवेली तहसील कृषि विभाग में शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन, कृषि विभाग द्वारा पंचनामा करने के बावजूद, अभी तक किसानों को किसी प्रकार की मदद नहीं की गई है, जिससे वे भारी आर्थिक संकट में फंस गए हैं।
यह मामला तब उजागर हुआ जब विजय गणपत जवलकर और अन्य किसानों ने उरुली कांचन स्थित ग्रीन फिंगर्स सीडलिंग टेक्नोलॉजी नामक वितरक से पिंपलवंडी (तहसील जुन्नर) की विकास हाईटेक नर्सरी कंपनी के गेंदे के पौधे खरीदे थे।
वितरक ने इस कंपनी की ‘ऑरेंज प्राइम’ किस्म के गेंदे के पौधे हवेली, दौंड और पुरंदर के 58 किसानों को बेचे थे।
किसानों ने कड़ी मेहनत से अपने खेतों को तैयार किया, गोबर की खाद डाली, और टपक सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) की व्यवस्था कर आधुनिक तरीके से ‘ऑरेंज प्राइम’ गेंदे के पौधों की रोपाई की।
इस काम में किसानों के लाखों रुपए खर्च हुए। उन्होंने अच्छी फसल की उम्मीद में पौधों की पूरी देखभाल की और समय पर खाद और दवाएं भी दीं। लेकिन, पौधों की वृद्धि ठीक से नहीं हुई और उन पर बहुत कम फूल आए। इससे किसानों को कंपनी के पौधों पर शक हुआ।
किसानों ने तुरंत उरुली कांचन में उस वितरक से संपर्क किया, जिसने उन्हें पौधे बेचे थे। वितरक ने कंपनी के अधिकारियों और किसानों के बीच बैठक कराई। कंपनी की एक टीम ने किसानों के खेतों का दौरा कर फसलों का निरीक्षण किया। इसके बाद जब किसानों ने कंपनी के अधिकारियों से संपर्क कर इस बारे में पूछा, तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
इस बीच, किसान विजय जवलकर ने कृषि विभाग से शिकायत की। कृषि विभाग ने भी किसानों के खेतों का निरीक्षण किया। जांच के दौरान, यह पाया गया कि 28.66% पौधों का विकास कम हुआ था। कृषि विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कंपनी के पौधों की गुणवत्ता वैसी नहीं थी जैसी बताई गई थी और वे बेचने लायक नहीं थे।
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रिपोर्ट के अनुसार किसानों को करीब 29% का नुकसान हुआ है। हालांकि, इस रिपोर्ट के बावजूद, किसानों को अभी तक कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है और न ही प्रशासन द्वारा संबंधित कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है।
हवेली तहसील के कृषि अधिकारी गणेश धस ने बताया कि 66 कृषि विभाग ने किसानों की फसलों का निरीक्षण किया है। यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया है कि किसानों को 29% का नुकसान हुआ है। सरकारी मानदंडों के अनुसार, केवल उन्हीं किसानों को मदद दी जाती है जिनका नुकसान 33% से अधिक होता है।
वितरक हरिविजय कांचन ने बताया कि हाईटेक नर्सरी से लाए थे। हवेली, दौंड और पुरंदर के किसानों को ये पौधे बेचे गए थे। चूंकि फूलों की बिक्री लायक पैदावार नहीं हुई, इसलिए किसानों को भारी नुकसान हुआ है। कंपनी के प्रतिनिधि पाटिल ने किसानों के खेतों का दौरा किया था, लेकिन उसके बाद उन्होंने कोई रिपोर्ट नहीं दी, जिससे सभी किसान आर्थिक संकट में फंस गए हैं।