गार्डन में रखी शराब व बीयर की बोतलें (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pune Kothrud Garden News: पुणे जिले के कोथरूड परिसर के सर्वे नंबर 7 और 8 के पंडित जीतेंद्र अभिषेकी गार्डन केवल कागजों पर ही अस्तित्व में है। पिछले 23 वर्षों में इस प्रोजेक्ट को बार-बार कानूनी अड़चनो का सामना करना पड़ा है। इसके कारण पैसों की बर्बादी पर अब नागरिकों ने नाराजगी जताई है। साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि गार्डन आखिर कब बनेगा।
कोथरूड की इस जगह पर गार्डन बनाने का प्रस्ताव 2003 मे तत्ककालीन नगरसेवक उज्जवला केसकर ने रखा था। उस वक्त नागरिको में इसे लेकर काफी उत्साह था। लेकिन इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन का मुद्दा सबसे बड़ी बाधा बनी।
इस गार्डन की आधी जगह निजी और शेष जगह महानगरपालिका की थी। गार्डन विभाग ने जमीन मालिक को बगैर विश्वास मे लिए और बगैर कोई मुआबजा दिए काम शुरू कर दिया। इसी वजह से गार्डन का काम अधूरा रहने का आरोप स्थानीय नागरिक लगा रहे है।
महानगरपालिका के गार्डन विभाग ने बगैर कब्जे वाले जमीन पर पैसे खर्च कर जॉगिंग ट्रैक, खेलने की व्यवस्था, बैठने की व्यवस्था जैसी सुविधाएं तैयार की थी। लेकिन अभी तक इस जमीन की समस्या का हल नहीं हुआ है। यहां पर अब केवल मलबा नजर आता है। फिलहाल इस जगह पर गंदगी पसरी हुई है और जगह का इस्तेमाल शराबियों, नशेड़ियों द्वारा किया जा रहा है।
इसी वजह से सीनियर सिटी, महिलाओं को चलने, दौड़ने के लिए जॉगिंग ट्रैक, छोटे बच्चों को खेलने के लिए बालोधान, सांस्कृति पहचान को बनाए रखने वाले 12 बलुतेदारों की प्रदर्शनी पुतला योजना जैसी सारी वाला गार्डन केवल कागजों पर सिमटे होने से परिसर के नागरिक इसे लेकर नाराजगी व्यक्त कर रहे है।
स्थानीय नागरिक रविराज पाठक ने कहा कि पिछले दो दशक में 66 कई नगर सेवक इस भाग से चुनकर गए हैं। लेकिन उन सभी ने इस पेंडिंग काम की उपेक्षा की है। इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कोथरूड से चुनकर आए एक भी विधायक ने इस विवाद में मध्यस्थता कर इसका हल करने का प्रयास नहीं किया। यहां पर पैसों की बर्बादी हो रही है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।
पुणे मनपा के सहायक आयुक्त अशोक घोरपड़े ने कहा कि इस गार्डन को लेकर रहा है। संबंधित गार्डन के लिए किसी तरह के फंड का प्रावधान नहीं किया गया है। कोर्ट से विवाद का निपटारा होते ही बजट में फंड का प्रावधान कर गार्डन का काम पूरा कर नागरिकों के लिए खोल दिया जाएगा।
कोथरूड के जय भवानी नगर में 25 हजार वर्ग फुट के प्लॉट पर इस उद्यान को बनाने की योजना साल 2001 में बनी थी। उस समय यह तय किया गया था कि PMC और महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) मिलकर इसे विकसित करेंगे। लेकिन यह परियोजना प्रशासनिक और वित्तीय बाधाओं के कारण ठप पड़ गई।
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पिछले 23 सालों से पुणे के कलाकार, संगीत प्रेमी और स्थानीय नागरिक इस उद्यान को बनाने की मांग कर रहे हैं। इस खाली जमीन पर फिलहाल एक छोटा सा मंदिर और कुछ पुरानी कारें रखी हुई हैं। PMC के अधिकारियों ने हाल ही में इस परियोजना को फिर से शुरू करने की बात कही है।
उन्होंने इस जगह का निरीक्षण किया है और एक नया प्रस्ताव तैयार करने की योजना बना रहे हैं। इस प्रस्ताव में उद्यान में एक ओपन-एयर थिएटर और एक छोटा संग्रहालय बनाने की बात शामिल है।