जीबीएस से 5 की मौत (सोशल मीडिया)
पुणे: महाराष्ट्र के पुणे जिले में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के मामले बढ़ते ही जा रहे है। जैसे-जैसे मामले बढ़ रहे है वैसे-वैसे मौतें भी बढ़ने लगी है। खबर सामने आ रही है कि पुणे में अब तक गुलियन-बैरे सिंड्रोम से 5 लोगों की मौत हो गई है। इन बढ़ती मौतों से प्रशासन की चिंताएं बढ़ती जा रही है।
अब तक गुलियन-बैरे सिंड्रोम के अब तक 149 संदिग्ध मामले सामने आ चुके है। गौर करने वाली बात ये है कि ये इनमें से 124 लोग गुलियन-बैरे सिंड्रोम के शिकार पाए गए है। इनमें से 28 मरीज वर्तमान में वेंटिलेटर सपोर्ट पर है, जहां उनका इलाज चल रहा है।
अब तक के जो आंकड़े सामने आए है इससे ये पता चलता है कि ज्यादातर 0-9 साल के बच्चे इसका शिकार हुए है और 20-29 साल के लोग गुलियन-बैरे सिंड्रोम की गिरफ्त में आए है, जो कि चिंताजनक आंकड़े है। ग्रामीण इलाकों में इसके ज्यादा मरीज पाए गए है।
Maharashtra's health department has reported five deaths linked to Guillain-Barré Syndrome (GBS), with 149 suspected cases so far. Out of these, 124 have been confirmed as GBS patients. The highest number of cases—82—are from newly added villages in Pune Municipal Corporation… pic.twitter.com/xl3PGbrmf7
— IANS (@ians_india) February 1, 2025
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से जुड़ी पांच मौतों की सूचना दी है, जबकि अब तक 149 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। इनमें से 124 की पुष्टि जीबीएस के मरीज के रूप में हुई है। सबसे अधिक मामले- 82- पुणे नगर निगम (पीएमसी) की सीमा में नए जोड़े गए गांवों से हैं, इसके बाद पुणे शहर से 29, पिंपरी-चिंचवाड़ से 17, पुणे ग्रामीण क्षेत्रों से 13 और अन्य जिलों से 8 मामले हैं। वर्तमान में 28 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
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इससे पहले महाराष्ट्र के जलगांव में 45 वर्षीय महिला को गुलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) नामक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार का पता चला है। सौभाग्य से उसकी हालत स्थिर है और उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उचित उपचार मिल रहा है। जलगांव के पालक मंत्री गुलाबराव पाटील ने महिला से मुलाकात की थी। साथ ही उन्होंने नागरिकों से न घबराने की अपील की और उन्हें प्रोत्साहित किया कि अगर उनमें कोई लक्षण दिखाई दें तो वे सरकारी अस्पताल जाने की अपील की थी।
1. पैरों या भुजाओं में अचानक कमज़ोरी/लकवा होना।
2. अचानक चलने में कठिनाई या कमजोरी।
3. दस्त (लंबे समय तक चलने वाला)
4. नागरिकों द्वारा बरती जाने वाली सावधानियां।
5. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि पीने का पानी दूषित न हो। उदाहरण के लिए गर्म पानी करें।
6. भोजन स्वच्छ एवं ताज़ा होना चाहिए।
7. व्यक्तिगत स्वच्छता पर जोर दिया जाना चाहिए।
8. पके और कच्चे भोजन को एक साथ न रखकर भी संक्रमण को रोका जा सकता है।