पुणे महानगरपालिका (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pune News In Hindi: पुणे महापालिका के चुनाव के लिए घोषित की गई वार्ड संरचना के प्रारूप पर आपत्तियों की सुनवाई की प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी हो गई। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इस प्रक्रिया के बाद वार्ड संरचना में कितने बदलाव होंगे। इस प्रारूप रचना से यह तो साफ हो गया है कि राजनीतिक संघर्ष अगले कुछ दिनों में और बढ़ेगा और यह मामला आसानी से सुलझने के आसार कम है।
महापालिका चुनाव के लिए जारी प्रारूप रचना पर कुल 5,922 आपत्तियां दर्ज कराई गई थी। इन आपत्तियों पर गुरुवार और शुक्रवार को राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग की अपर सचिव वी। राधा ने सुनवाई की। इस दौरान महापालिका आयुक्त नवल किशोर राम, अतिरिक्त आयुक्त ओम प्रकाश दिवटे, एम जे प्रदीप चंद्रन और चुनाव निर्णय अधिकारी प्रसाद काटकर समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इस बीच पूर्व विधायक रवींद्र धंगेकर ने यह कहकर इस पूरी प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि प्रारूप रचना पर सुनवाई सिर्फ एक फॉर्मेलिटी हैं। इसका कोई असर अंतिम प्रभाग रचना ड्राफ्ट में देखने को नहीं मिलेगा। यह कहकर उन्होंने पुणे महापालिका प्रशासन का निषेध किया है। 828 आपत्तिकर्ता व्यक्तिगत रूप से हुए शामिल: वार्ड वार आपत्तियों की लगातार दो दिन सुनवाई हुई। इसमें कुल 828 आपत्ति कर्ताओं ने व्यक्तिगत रूप से सुनवाई में भाग लिया।
अधिकांश आपत्तियों में मुख्य रूप से यह आरोप था कि वार्ड की सीमाएं तय करते समय राज्य चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। इसके अलावा भौगोलिक रचना को ध्यान में नहीं रखा गया। कुछ आपत्तियों में यह भी कहा गया कि कुछ वार्डों में अनुसूचित जाति आरक्षण खत्म हो सकता है। इसलिए मतदाता सूचियां तोड़कर दूसरे वार्डों में जोड़ दी गई। प्रशासन की ओर से कहा गया कि वार्ड रचना तैयार करते समय जनसंख्या, आर्थिक समूह और प्राकृतिक सीमाओं का संतुलन साधना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
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पिछली बार की सुनवाई के बाद लगभग 6 प्रतिशत बदलाव करके अंतिम संरचना घोषित की गई थी। इस वर्ष भी सुनवाई की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इसलिए अब सभी की उत्सुकता यह जानने में है कि अंतिम संरचना कैसी होगी। प्रशासन ने बताया कि सुनवाई लोकतंत्र की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है। सुनवाई के बाद आपत्तियों का अध्ययन करके उचित निर्णय लिया जाएगा और उसके बाद ही अंतिम संरचना घोषित की जाएगी।