शरद पवार और मनीषा कायंदे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
पुणे: एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि अगर किसी का काम या विचारधारा पसंद नहीं आए तो उसे ‘नक्सल’ करार देने का चलन आजकल बढ़ रहा है। शरद पवार ने शिवसेना की विधान परिषद सदस्य (MLC) मनीषा कायंदे की टिप्पणी पर जवाब देते हुए यह बात कही।
विधान परिषद सदस्य मनीषा कायंदे ने बुधवार को विधान परिषद में दावा किया था कि ‘अर्बन नक्सलियों’ ने वारी वार्षिक तीर्थयात्रा में घुसपैठ कर ली है और वे ‘वारकरियों’ को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका शरद पवार ने जवाब दिया। शरद पवार ने अपने जवाब में कहा मुझे इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है। लेकिन जिन दो संगठनों के नाम मीडिया में सामने आए हैं, उनमें से एक है लोकायत भी है। मैंने लोकायत का काम देखा है।”
शरद पवार ने कहा, इस संगठन का दृष्टिकोण और सोचने का तरीका मॉडर्न है और पिछले कई सालों से रूढ़िवादिता के खिलाफ काम कर रहा है। वे नक्सली नहीं हैं। अगर किसी का काम या विचारधारा स्वीकार नहीं है तो उसे नक्सली करार देने का चलन बढ़ रहा है। शरद पवार ने कहा कि पुणे में जाति हिंसा के बाद एल्गार परिषद (31 दिसंबर 2017) और कोरेगांव भीमा (1 जनवरी 2018) में कई लोगों को माओवादियों के साथ संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में डाल दिया गया था।
उन्होंने वारी का जिक्र करते हुए दावा किया, ‘‘यहां भी यही हो सकता है कि आज, राज्य सरकार उन विचारधाराओं के लिए लोगों को नक्सली करार दे रही है, जो उसे स्वीकार नहीं।” शरद पवार ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी, शिवसेना यूबीटी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) द्वारा 5 जुलाई को आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम में हिस्सा लेगी जिसमें तीन भाषा नीति के मुद्दे पर जीत का जश्न मनाया जाएगा।
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शिवसेना एमएलसी डॉ. मनीषा कायंदे ने महाराष्ट्र विधान परिषद में गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया था कि पंढरपुर में आषाढ़ी वारी तीर्थस्थल में “शहरी नक्सली” घुस आए हैं। उन्होंने कहा था कि शहरी नक्सली वारकरियों (भक्तों) को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से वारी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया। मामले को गंभीरता से लेते हुए उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जांच के आदेश दिए हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)