टीबी (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: टीबी रोग मुक्त भारत के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय अभियान के तहत पुणे जिले में जनवरी से दिसंबर तक ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ चलाया जा रहा है।
इस अभियान में जिले की उच्च जोखिम वाली आबादी की जांच करके नए मरीजों की पहचान करने पर जोर दिया जा रहा है। पुणे के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी बस्तियों में कुल 8।85 लाख लोगों की जांच की जाएगी।
अब तक लगभग 10 प्रतिशत आबादी की जांच पूरी हो चुकी है, जिनमे 85 हजार से अधिक लोग जांच हो चुकी हैं। इस जांच में नए टीबी मरीजों क्षय रोग (Tuberculosis) की पहचान हुई है और उन पर तुरंत इलाज शुरू कर दिया गया है।
पुणे जिले की ग्रामीण आबादी 52 लाख से अधिक है, और जनवरी से सितंबर तक कुल 5414 मरीज पाए गए हैं। इन सभी का इलाज जिला प्रशासन द्वारा जारी है। इन मरीजों के संपर्क में आए लोगों की भी जांच की जा रही है। यह इलाज छह महीने तक चलता है। जिन्हें यह इलाज दिया गया है उनमें ठीक होने की दर लगभग 90 प्रतिशत से अधिक है। इस अवधि में केवल 2 मरीजों की मृत्यु हुई है।
मरीजों के मामले में हवेली बीजेएमसी में 1102 मरीज सबसे अधिक हैं और पौड़ में 1028 हैं। जबकि वेल्हे तहसील में सबसे कम 43 मरीज पाए गए हैं। इस अभियान के तहत विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों की पहचान की गई है। इनमें पिछले वर्ष में टीबी पीड़ित या टीबी मरीजों के संपर्क में रहने वाले व्यक्ति, HIV पॉजिटिव मरीज, मधुमेह रोगी, धूम्रपान करने वाले, शराब पीने वाले, 20 से कम BMI वाले लोग, वृद्धाश्रम में रहने वाले तथा आदिवासी क्षेत्र के नागरिक शामिल हैं।
नागरिकों से भी आग्रह किया गया है कि वे इस अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लें और स्वयं व अपने परिवार की जांच कराएं।
टीबी रोग की जांच में एक्स-रे, कफ के नमूनों की जांच और नाट मशीन जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इससे मरीज की पहचान करना और तत्काल इलाज शुरू करना अधिक आसान हो गया है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, टीबी रोग के कुछ लक्षण दिखाई देने पर नागरिकों को तुरंत जांच करानी चाहिए, इन लक्षणों में आठ सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, लगातार बुखार, रात में पसीना आना, वजन घटना, भूख कम होना, सीने में दर्द, खून वाला खांसी और थकान प्रमुख हैं। विशेष रूप से कुपोषित और दुर्बल व्यक्तियों में टीबी रोग का खतरा अधिक है।