अधिकारियों को ट्रांसफर लेटर सौंपतीं हुई मंत्री पंकजा मुंडे (सोर्स: एक्स@Pankajamunde)
पुणे: पशुपालन विभाग के अधिकारियों के तबादले समुपदेशन (काउंसलिंग) के माध्यम से करते समय प्राथमिकता का स्पष्ट निर्धारण किया गया है। इसके अनुसार, सबसे पहले दिव्यांग, विकलांग बच्चों के माता-पिता, गंभीर बीमारियों से ग्रसित अधिकारी, विधवा महिलाएं, पति-पत्नी का एकत्रीकरण और फिर माता-पिता या सास-ससुर की बीमारी को प्राथमिकता दी जा रही है। लेकिन जो अधिकारी वर्षों से शहर की जगह पर जमे हुए हैं, अब ऐसा नहीं चलेगा। उनके भी तबादले किए जाएंगे। ऐसा स्पष्ट इशारा महाराष्ट्र की पशुपालन मंत्री पंकजा मुंडे ने दिया।
पशुपालन विकास अधिकारी और सहायक आयुक्त संवर्ग के अधिकारियों के समुपदेशन के माध्यम से स्थानांतरण की प्रक्रिया मुंडे की उपस्थिति में पूरी की गई। इस अवसर पर विभाग के सचिव एन. रामास्वामी, आयुक्त प्रवीणकुमार देवरे, और अतिरिक्त आयुक्त डॉ. शीतलकुमार मुकणे भी उपस्थित थे।
मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि “मैं इस ऐतिहासिक निर्णय की साक्षी बनने के कारण गर्व महसूस कर रही हूं। अधिकारियों का मनोबल बढ़े और भ्रष्टाचारमुक्त नीति को लागू किया जा सके, इस उद्देश्य से समुपदेशन के माध्यम से तबादले का निर्णय लिया गया है। यह प्रक्रिया भविष्य में भी जारी रहेगी। गांव स्तर पर मेहनत करने वाले आम लोगों की खुशी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। जब स्थानांतरण मनचाहे स्थान पर हुआ है, तो अब बेहतर कार्य करें।”
मुंडे ने आगे कहा कि “अब पद, पहचान या जनप्रतिनिधियों की सिफारिश से स्थानांतरण नहीं होंगे। अब परिवार से दूर रह रहे, आदिवासी क्षेत्रों में कार्यरत योग्य अधिकारियों को उनकी पसंद की जगह नियुक्ति दी जाएगी। इस बीच, समुपदेशन प्रक्रिया गुरुवार से शुरू हुई और शुक्रवार को भी जारी रही। आदिवासी और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत 118 अधिकारियों और सामान्य क्षेत्रों के 444 अधिकारियों के तबादले उनकी पसंद के अनुसार किए गए हैं।
डॉ. आकाश ठाकरे ने कहा कि मैं यवतमाल जिले का रहने वाला हूं। मेरी पहली नियुक्ति 2022 में त्र्यंबकेश्वर में हुई थी। मैंने आदिवासी क्षेत्र में तीन वर्षों तक सेवा दी। समुपदेशन के माध्यम से मुझे मेरा गृह जिला मिला। यह प्रक्रिया अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने वाली है।
डॉ. प्रियंका स्वामीदास ने कहा कि मैं सिरोंचा तालुका में कार्यरत थी। यह इलाका तेलंगाना सीमा से सटा हुआ है, इसलिए यहां तेलुगु भाषा अधिक बोली जाती है। मुझे यह भाषा आती है। जब मेरी बदली की बात आई तो लोगों ने चिंता जताई कि अगर मैं यहां से चली गई, तो उनका क्या होगा। समुपदेशन के अनुसार मैं यहीं रही। यह निर्णय ऐतिहासिक है।