पृथ्वीराज चव्हाण व संजय राउत (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों की आतंकी हमले में की गई हत्या का जबरदस्त बदला भारतीय सेना पाकिस्तान से ले रही है। गुरुवार की रात से शुरू किए भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान तो पस्त हुआ ही है। भारत में विपक्षी दलों की चिंता भी बढ़ने लगी है। ऑपरेशन सिंदूर से हो रही पाकिस्तान और उसकी सेना की दुर्गति का श्रेय भविष्य में बीजेपी लेगी और चुनाव में इसका लाभ उठाएगी, ऐसी चिंता महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं को अभी से सताने लगी है। पृथ्वीराज चव्हाण तथा शिवसेना (यूबीटी) सांसद व प्रवक्ता संजय राउत बयान में श्रेयवाद का डर साफ देखने को मिला है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि सरकार ने चुनाव में भावनात्मक लाभ पाने के लिए ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखा है। उन्होंने कहा कि सरकार मतदाताओं को रिझाने के लिए विधवा महिलाओं की भावनाओं का सहारा सरकार ले रही है। चव्हाण ने कहा कि सिंदूर शब्द लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। लेकिन युद्ध में सिंदूर या भावनाओं से लाभ नहीं मिलता है। बल्कि युद्ध गोला-बारूद और शस्त्रों से जीते जाते हैं।
इसी तरह संजय राउत ने बीजेपी और सत्ता में शामिल उसके सहयोगी दलों को अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाते हुए कहा है कि इस जंग को लेकर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। राऊत ने कहा कि 1971 की तुलना में आज की पाकिस्तानी सेना बेहद कमजोर है। भारतीय सेना पेशेवर ढंग से युद्ध लड़ रही है जबकि पाकिस्तानी सैनिक पेशेवर नहीं है। उन्हें उचित ट्रेनिंग नहीं मिलती है।उनके वरिष्ठों की दिलचस्पी राजनीति में ज्यादा होती है।
ऑपरेशन के नाम ‘सिंदूर’ पर सवाल खड़े करने की वजह से पृथ्वीराज चव्हाण विरोधियों के साथ-साथ अपनों के भी निशाने पर आ गए हैं। उन पर चौतरफा हमला शुरू हो गया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने चव्हाण के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि जंग के मौजूदा हालत में इस तरह की सियासी बयानबाजी उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय सेना पर गर्व है और सरकार जो भी कदम उठाएगी हम उसका पूरा समर्थन करेंगे।