
मुंबई/नासिक: महाराष्ट्र समेत देशभर के प्याज उत्पादक किसानों के लिए साल 2025 आर्थिक तबाही का साल साबित हुआ है। महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ (MSOGFA) ने केंद्र सरकार की नीतियों और बाजार में अनावश्यक हस्तक्षेप को इस बर्बादी का मुख्य जिम्मेदार ठहराया है। संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रत्यक्ष सब्सिडी और न्यायिक जांच की मांग की है।
भरत दिघोले के अनुसार, 2025 में प्याज की खेती करना किसानों के लिए घाटे का सौदा बन गया। जहाँ प्याज की औसत उत्पादन लागत 22 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम थी, वहीं बाजार में किसानों को इसका आधा दाम भी मिलना मुश्किल हो गया।
महीनेवार बाजार भाव का चौंकाने वाला आंकड़ा: संगठन द्वारा महाराष्ट्र की बाजार समितियों से जुटाए गए आंकड़े किसानों की बदहाली बयां करते हैं:
दिघोले ने कहा कि पूरे साल कीमतें उत्पादन लागत से काफी नीचे रहीं, जिसके कारण किसान कर्ज के दलदल में फंस गए हैं और कई क्षेत्रों में किसानों के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
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MSOGFA ने केंद्र सरकार की खरीद एजेंसियों – NAFED (नेफेड) और NCCF की कार्यप्रणाली पर कड़े सवाल उठाए हैं। दिघोले का आरोप है कि देश में प्याज की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद सरकार ने करीब 3 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया। यह खरीद सीधे किसानों से करने के बजाय बिचौलियों, ठेकेदारों और निजी एजेंसियों के माध्यम से की गई। इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं और गड़बड़ियां हुई हैं, जिससे सरकारी पैसा बिचौलियों की जेब में गया और किसान खाली हाथ रह गया।
भरत दिघोले ने कहा- “सरकार आंकड़ों के जाल में अपनी सफलता का ढोल पीट रही है, जबकि हकीकत में किसान अपनी फसल कौड़ियों के दाम बेचने पर मजबूर है।”
किसान संघ ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को अल्टीमेटम दिया है। उनकी मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:—
भरत दिघोले ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इन मांगों पर जल्द ही सकारात्मक कदम नहीं उठाए, तो संगठन केवल महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में उग्र आंदोलन शुरू करेगा।






