नासिक में निर्माणाधीन गड्ढा बना काल, 3 बच्चों की डूबकर मौत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नासिक: नासिक से एक बेहद दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसने पूरे शहर को सदमे में डाल दिया है। बिड़ी कामगार नगर क्षेत्र में रविवार से लापता 3 बच्चों के शव सोमवार सुबह एक निर्माणाधीन इमारत के गहरे गड्ढे में जमा बरसाती पानी से बरामद हुए। इस घटना ने न केवल 3 मासूम जिंदगियां निगल लीं, बल्कि प्रशासन और बिल्डरों की घोर लापरवाही को भी उजागर कर दिया है।
मृत बच्चों की पहचान साई गोरक्ष गरड (14 वर्ष), साई केदारनाथ उगले (13 वर्ष) और साहिल हिलाल जाधव (14 वर्ष) के रूप में हुई है। रविवार दोपहर तीनों दोस्त खेलने के लिए घर से निकले थे। शाम तक न लौटने पर परिजनों की बेचैनी बढ़ गई। वे रातभर उन्हें ढूंढ़ते रहे। हर गली, हर कोना खंगाला लेकिन बच्चों का कोई पता नहीं चला। सोमवार सुबह वह भयावह दृश्य सामने आया जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया। निर्माणाधीन इमारत के पास उनके कपड़े और चप्पलें पड़ी मिलीं। परिजनों की चीख निकल गई।
स्थानीय लोगों ने पुलिस और दमकल विभाग को सूचना दी। राहत दल ने गड्ढे में भरे गंदे पानी में उतरकर तलाशी ली। कुछ देर बाद तीनों बच्चों के शव बाहर निकाले गए। उन्हें पोस्टमार्टम के लिए जिला सरकारी अस्पताल भेजा गया। घटना स्थल पर मातम का माहौल था। बच्चों के शव देखकर मां-बाप का कलेजा फट गया। महिलाएं दहाड़ें मारकर रोने लगीं।
रिश्तेदारों की सिसकियां हर किसी को रुला गईं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि वहां एक इमारत के लिए गहरा गड्ढा खोदा गया था। बरसात का पानी उसमें जमा हो गया था। कोई चेतावनी बोर्ड, कोई बाड़, कोई सुरक्षा गार्ड तक तैनात नहीं था। बच्चे शायद नहाने या खेलने के लिए वहां गए होंगे। लेकिन दलदली मिट्टी में पैर फंस जाने से वे बाहर नहीं निकल सके।
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घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने सड़क जाम कर दिया और नारेबाजी की। उन्होंने बिल्डर पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की। पूर्व नगरसेविका पूनम सोनवणे ने कहा, “तीन मासूमों की मौत पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। बिल्डर ने सुरक्षा मानकों की खुलकर अनदेखी की है।
इसके लिए उस पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।” स्थानीय लोग पूछ रहे हैं, आखिर प्रशासन ने इस गड्ढे को क्यों अनदेखा किया? क्यों नहीं बिल्डर को नोटिस दिया गया? ऐसी कई निर्माणाधीन साइटें हैं जहां बच्चे खेलते हैं, लेकिन सुरक्षा के कोई उपाय नहीं हैं। क्या और बच्चों की जान जाने का इंतजार किया जाएगा?
पुलिस मौके पर पहुंची और मामला दर्ज कर लिया गया है। आडगांव थाने में अपराध दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू हो गई है। पुलिस ने कहा है कि बिल्डर की जिम्मेदारी और लापरवाही के हर पहलू की गहन जांच होगी। पूरे नासिक शहर में इस हादसे से शोक की लहर दौड़ गई है। हर कोई यही कह रहा है । “ये हादसा नहीं, लापरवाही से हुई हत्या है।”
तीन परिवारों की खुशियां उजड़ गईं। उनकी हंसी, उनके खेल, उनकी मासूम शरारतें अब कभी सुनाई नहीं देंगी। यह घटना नासिक के प्रशासन और बिल्डरों के लिए एक कड़ा सबक होनी चाहिए कि विकास की दौड़ में सुरक्षा को नजरअंदाज करना कितनी बड़ी कीमत मांग सकता है।