पेड़ कटाई पर महायुति में तकरार (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Tapovan Tree Removal Controversy: नासिक के तपोवन क्षेत्र में पेड़ों की प्रस्तावित कटाई के फैसले को लेकर महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति सरकार के भीतर टकराव तेज हो गया है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी (राकां) के बाद अब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भी इस निर्णय के खिलाफ सड़कों पर उतरकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
शुक्रवार को शिंदे गुट के सैकड़ों पदाधिकारी और कार्यकर्ता हाथों में विरोध पोस्टर लेकर तपोवन परिसर में सड़कों पर उतरे और जोरदार नारेबाजी की। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी।“वृक्ष कटाई रोको, वरना गंभीर परिणाम भुगतना होगा।” संतप्त कार्यकर्ताओं ने प्रतीकात्मक रूप से आरी और कुल्हाड़ी जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया।
यह विरोध ऐसे समय में सामने आया है, जब उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रसिद्ध अभिनेता सयाजी शिंदे पहले ही वृक्ष कटाई के खिलाफ मुखर हैं। अब महायुति के ही दूसरे घटक दल के शामिल होने से पर्यावरण कार्यकर्ताओं की आवाज और मजबूत हो गई है।
तपोवन में वृक्ष कटाई के खिलाफ बीते कुछ दिनों से विभिन्न संगठन और पर्यावरण प्रेमी आंदोलन कर रहे हैं। शिंदे गुट के नेता अजय बोरस्ते ने प्रशासन की भूमिका को “संदिग्ध” बताते हुए कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है और इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे नासिक की जनता की भावनाएँ सीधे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक पहुंचाएँगे।
महिला पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पेड़ों को राखी बांधकर संदेश दिया कि ये वृक्ष उनके भाई हैं और वे उनकी रक्षा करेंगी।
इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता और एनसीपी विधायक धनंजय मुंडे की पूर्व पत्नी करुणा मुंडे ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दशकों पुराने पेड़ों को काटकर जमीन निजी उद्योगपतियों को देने की तैयारी की जा रही है। मुंडे ने कहा कि “यह केवल हरियाली नहीं, यह प्रकृति है और उसकी हत्या की साजिश की जा रही है।” उन्होंने चेतावनी दी। यदि एक भी पेड़ काटा गया तो कार्यकर्ता आत्मदाह कर विरोध करेंगे। उन्होंने प्रशासन से निर्णय तत्काल रद्द करने की मांग की।
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आंदोलन की तीव्रता देखते हुए नासिक शहर पुलिस और दंगा नियंत्रण बल की तैनाती की गई है। पूरे शहर की निगाहें इस विवाद पर टिकी हैं कि वृक्ष कटाई का मुद्दा आगे क्या मोड़ लेता है।