नाशिक : महानगरपालिका (Municipal Corporation) सिमा क्षेत्र म्हसरूल स्थित सर्वे न. 28/1 और 29/1 इस क्षेत्र के ऋण पत्रिका में हुई गलती को सुधारने के लिए आवेदन कर जमीन मालिक (Land Owner) और बिल्डर (Builder) ने बड़े अधिकारियों से आर्थिक लेन-देन (Economic Transactions) कर 16 हेक्टेयर जगह हड़प ली। इस जगह के गैरव्यवहार में पूर्व अपर जिलाधिकारी, पूर्व तहसीलदार, पूर्व मंडल अधिकारी, पूर्व पटवारी शामिल है।
इन सभी के खिलाफ संघर्ष करने के लिए कानूनी मार्ग का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन अब तक पुलिस प्रशासन द्वारा कोई भी मदद नहीं मिली है। ऐसी जानकारी संदीप दीक्षित ने आयोजित पत्रकार परिषद में दी। दीक्षित ने आगे कहा, मानकचंद रतनचंद्र राका और सुवालाल बाबुलाल संचेती ने 16 अगस्त 1974 से 1984 के बीच एक ही परिवार के शिवाजी कचरू मोराडे, पोपट शंकर मोराडे, काशिनाथ पंढरीनाथ मोराडे, नरहरी यशवंत मोराडे, दिनकर यशवंत मोराडे सहित अन्य व्यक्ति के गट क्रमांक 28/1 और 29/1 संपूर्ण क्षेत्र खरीदी किया।
इस बारे में कानूनी दस्तावेज भी बनाए गए। ऋणपत्रिका पर खरीदीदार का नाम भी लगा। 18 जनवरी 2012 में गंगाधर पोपट मोराडे और उसके पुत्र निलेश पोपट मोराडे ने तहसील कार्यालय में आवेदन कर गट न. 29/1 क और 28/1 ड में से अनुक्रमांक 27 आर और 76 आर क्षेत्र संबंधितों को बेचने की बात की। और ऋणपत्रिका भी पेश की गई। साथ ही शेष क्षेत्र गैरकानूनी तरिके से राजेंद्र नरहर समर्थ, विलास मार्तडराव पेखले, संदीप अशोक आवारे ने बेचते हुए इसकी जानकारी संपत काशिनाथ मोराडे को दी। उन्होंने भी गैरकानूनी रूप से अधिकारियों से आर्थिक लेन-देन कर अतिरिक्त क्षेत्र मनोज शांतीलाल चोरडीया, सुनिल मोहनलाल कांकरीया, विलास निलकंठ पाटिल, राजेंद्र किसन वानखेडे को बेच दिया।
इस गैरकानूनी व्यवहार में पूर्व अप्पर जिल्हाधिकारी बी. एच. पालवे, पूर्व तहसीलदार सुचिता भामरे, पूर्व मंडल अधिकारी डी. आर. लचके, आर. एम. पर्वते, पूर्व पटवारी आर.के. बागुल शामिल है। इस बारे में उपविभागीय अधिकारी से शिकायत करने के बाद संबंधित अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। साथ ही अनैसर्गिक न्याय तत्व का उल्लंघन करने की बात स्पष्ट करते हुए कहा, महाराष्ट्र जमीन राजस्व अधिनियम 1966 की धारा 155 यह राजस्व विभाग में हुई कारकून गलती के लिए है। इसलिए इस धारा के तहत क्षेत्र दुरुस्ती का आदेश जारी करना गैरकानूनी है। गलती को सुधारने के लिए संबंधितों को नोटिस जारी करना आवश्यक है। ऐसा प्रावधान धारा 155 में है। फिर भी तहसील ने आर्थिक लेन देन के लिए संबंधितों को नोटिस जारी नहीं की। इसलिए क्षेत्र दुरुस्ती के आदेश गैरकानूनी है। दुय्यम निबंधक 5 ने भी दस्तावेजों की जांच पड़ताल न करते हुए दस्तावेज बनाए। इस मामले में वह भी दोषी है।
संदीप दीक्षित ने न्याय के लिए राजस्व और फौजदारी तरिके से संघर्ष शुरू किया। इसके लिए 10 जनवरी 2022 को पुलिस कमिश्नर दीपक पांडे को आवेदन किया। इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने 24 फरवरी 2022 को संबंधित पुलिस थाना में शिकायत करने की सलाह दी। इसके तहत संदीप दीक्षित ने म्हसरूल पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करने गए, लेकिन म्हसरूल पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। इसलिए अब न्यायालयीन संघर्ष शुरू किया है।
जिस बिल्डर ने गैरकानूनी रूप से जगह पर कब्जा किया है उस वह प्लॉट डेव्हलपमेंट का काम कर रहा है। देखा जाएगा तो यह न्यायालयीन प्रकरण होने से जगह पर किसी भी प्रकार का निर्माण या प्लॉटिंग करना गैरकानूनी है। फिर भी संबंधित व्यक्ति प्लॉट डेवलपमेंट कर रहा है। इसके माध्यम से अन्य नागरिकों के साथ धोखाधड़ी हो सकती है। इसलिए नागरिकों ने व्यवहार करते समय ध्यान देने की अपील संदीप दीक्षित ने की।