सुधाकर बडगुजर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नासिक: उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और उपनेता सुधाकर बडगुजर ने पार्टी से अचानक निकाले जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताया और कहा कि पार्टी के भीतर असंतोष व्यक्त करना अपराध नहीं माना जाना चाहिए। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए बडगुजर ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय के बारे में उनसे पहले कोई चर्चा नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा, इस तरह की किसी कार्रवाई के बारे में मुझसे कोई संवाद नहीं हुआ। मैं फिलहाल पूर्व निर्धारित दौरे पर नासिक से बाहर हूं और इसलिए पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हो सका। मैंने पार्टी को अपनी अनुपलब्धता के बारे में पहले ही सूचित कर बता दिया था।
शिवसेना के ठाकरे गुट द्वारा नासिक में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बडगुजर के निष्कासन की घोषणा की गई। इस कार्यक्रम का नेतृत्व नासिक जिला प्रमुख डी.जी. सूर्यवंशी ने किया। इस दौरान महानगर प्रमुख विलास शिंदे समेत पार्टी के अन्य नेता मौजूद रहे, जबकि बडगुजर अनुपस्थित रहे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी ने आधिकारिक तौर पर बडगुजर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की घोषणा की और उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया।
जवाब में बडगुजर ने कहा-
”अगर कुछ फैसलों पर असंतोष व्यक्त करना निष्कासन का कारण माना जाता है, तो मेरा मानना है कि यह बिल्कुल गलत है। उन्होंने आगे कहा, पार्टी को यह तय करने का अधिकार है कि किसे बनाए रखना है और किसे निकालना है। मैं अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। मैं उचित समय पर अपने विचार व्यक्त करूंगा। मुझे कभी ऐसा कोई संकेत नहीं मिला कि मुझे निकाला जाएगा।”
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उन्होंने कहा कि अगर मुझे पार्टी नेतृत्व द्वारा मौका दिया जाता, तो मैं बैठक की मांग करता लेकिन अब जब मुझे निकाल दिया गया है, तो नेतृत्व मिलने का सवाल ही नहीं उठता। जब उनसे पार्टी के भीतर अन्य लोगों के बारे में पूछा गया, जो नाखुश हो सकते हैं, तो बडगुजर ने किसी का नाम लेने से परहेज करते हुए कहा, “मैं यह नहीं बताऊंगा कि और कौन नाखुश हो सकता है।” बडगुजर के निष्कासन ने ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के भीतर बढ़ती अशांति को उजागर किया है, जिससे आंतरिक संचार और पार्टी के भीतर असंतोष को कैसे संभाला जा रहा है, इस पर सवाल उठ रहे हैं।