(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Nashik News In Hindi: गणेश विसर्जन के दिन जब पूरा शहर धार्मिक उत्साह में डूबा हुआ था, उस समय पुलिसकर्मी एक अलग ही भूमिका में नजर आए। लोक निर्माण विभाग की लापरवाही के चलते विसर्जन मार्ग पर बने गड्डों को लेकर गणेश मंडलों और नागरिकों में नाराजगी थी।
ऐसे में पुलिस निरीक्षक सारिका अहिरराव के नेतृत्व में पुलिस दल ने खुद फावड़ा-कुदाल उठाकर गड्ढे भरे और सुरक्षित जुलूस सुनिश्चित किया। बारिश ने बढ़ाई परेशानी लगातार हो रही बारिश से इगतपुरी के तीन लकड़ी पुलों और विपश्यना विद्यापीठ की ओर जाने वाली पुरानी मुंबई-आगरा राजमार्ग पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए थे। इन गड्डों के कारण स्कूली बच्चों, बुजुगों और महिलाओं को रोजाना परेशानी हो रही थी।
कई बार वाहन फिसलकर छोटे-बड़े हादसे भी हुए। नागरिकों ने बार-बार लोक निर्माण विभाग से शिकायत की, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। गणेशोत्सव से पहले हुई शांति समिति की बैठक में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने विसर्जन मार्गों को दुरुस्त करने का वादा किया था। आश्वासन के बावजूद त्योहार के दिन तक कोई सुधार कार्य नहीं हुआ। जब शाम 6 बजे विसर्जन जुलूस का समय आया और मूर्तियों को सुरक्षित ले जाने की चिंता बढ़ी, तब पुलिसकर्मियों ने खुद ही जिम्मेदारी उठाई।
निरीक्षक सारिका अहिरराव ने अपनी टीम के साथ तीन लकड़ी पुल से हनुमान मंदिर, धम्मगिरी और ग्रामीण अस्पताल तक के रास्तों पर बने गड्ढे भरे। भारी बारिश के बीच उन्होंने कड़ी मेहनत कर मार्ग को जुलूस योग्य बनाया। इस मौके पर उप-निरीक्षक अमोल गायधनी, सहायक उप-निरीक्षक शंकर तातडे, हवलदार विनोद गोसावी, दीपक निकुंभ, निलेश देवराज, अभिजीत पोटिंडे, करण ठाकुर, कृष्ण गोडसे, दीपक पटेकर, होमगार्ड सुरेश पंडित, दोंडे, मोंडे और भंडागे सक्रिय रहे।
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गणेश मंडलों के पदाधिकारियों ने लोक निर्माण विभाग पर तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे गंभीर लापरवाही करार दिया।
वहीं, पुलिसकर्मियों की तत्परता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना की नागरिकों ने जमकर प्रशंसा की। लोगों का कहना था कि अगर पुलिस ने समय रहते कदम नहीं उठाया होता, तो जुलूस के दौरान हादसे हो सकते थे और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती थी।
इगतपुरी में इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब जिम्मेदारी विभागों की होती है तो उसे निभाने की जगह पुलिस को क्यों मैदान में उतरना पड़ता है।