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स्वच्छ भारत की रफ्तार धीमी, कागजों में कचरा मुक्त गांव, हकीकत में इंतजार पंचायतें परेशान

Swachh Bharat Abhiyan के दूसरे चरण में ग्राम पंचायतों को कचरा मुक्त बनाने की योजना अटकी है। राज्य स्तर से 200 करोड़ का टेंडर होने से नाशिक की कई ग्राम पंचायतों को अब तक कचरा वाहन नहीं मिले।

  • By अंकिता पटेल
Updated On: Dec 23, 2025 | 12:23 PM

प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )

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Ministry of Water Supply And Sanitation: नासिक स्वच्छ भारत अभियान के दूसरे चरण में नाशिक जिले सहित राज्य भर की ग्राम पंचायतों को कचरा मुक्त बनाने का सपना फिलहाल कागजों तक सीमित नजर आ रहा है।

राज्य जल आपूर्ति और स्वच्छता मंत्रालय ने स्थानीय स्तर पर फंड भेजने के बजाय सीधे राज्य स्तर से सप्लायर नियुक्त कर 200 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया। इस फैसले का सबसे बुरा असर नाशिक जिले की उन ग्राम पंचायतों पर पड़ा है, जिन्हें एक साल बाद भी कचरा संकलन के लिए वाहन नहीं मिल पाए हैं।

घटिया क्वालिटी और सुरक्षा पर सवाल

नासिक जिले की जिन ग्राम पंचायतों को गाड़ियां मिली भी हैं, वहां की स्थिति और भी चिंताजनक है। बैटरी से चलने वाली इन गाड़ियों (ई-रिक्शा) की क्वालिटी इतनी खराब है कि चलते समय इनके पलटने की शिकायतें बढ़ रही हैं।

योजना के तहत साधारण साइकिल की कीमत 39,000 रुपये और बैटरी वाली साइकिल की कीमत 3,50,900 रुपये वसूली गई है, लेकिन दी गई सामग्री इस भारी भरकम कीमत के मुकाबले बेहद कमजोर है।

नासिक जिला परिषद और ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारियों के हाथ इस मामले में बंधे हुए हैं। चूंकि सप्लायर की नियुक्ति सीधे मंत्रालय के सीनियर अधिकारियों और मंत्री स्तर से की गई है।

ग्रामीण स्वच्छता पर मंडराया संकट

इसलिए कोई भी अधिकारी इसकी शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। जिले में गाड़ियों के मेंटेनेंस के लिए कोई संपर्क सूत्र नहीं है, जिससे ग्राम सेवक और अधिकारी इस समस्या पर ध्यान देने के बजाय चुप्पी साधे बैठे है।

स्वच्छ भारत अभियान के दूसरे फेज की अवधि मार्च 2025 में समाप्त हो रही है। नाशिक में सॉलिड वेस्ट और सीवेज मैनेजमेंट के लिए केंद्र से बड़ी रकम मिली थी, जिसे खर्च करने की जल्दबाजी में नियमों को ताक पर रखकर दो सप्लायर थोप दिए गए।

यह भी पढ़ें:-नासिक में हैरान करने वाली ऑनलाइन ठगी, बिना आवेदन के लोन और ट्रांजेक्शन, साइबर फ्रॉड का नया तरीका

जिले की भौगोलिक स्थिति और तकनीकी जरूरतों को नजरअंदाज कर दिए जाने से अब सरकार को करोड़ों रुपये के नुकसान का अंदेशा है। नाशिक के ग्रामीण इलाकों में सार्वजनिक स्वच्छता, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और बायोगैस जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स इस ‘टेंडर धांधली’ की भेट चढ़ते दिख रहे हैं। फंड का सीधा कंट्रोल मंत्रालय के पास होने से नाशिक जिला प्रशासन केवल मूकदर्शक बना हुआ है।

 

Nashik swachh bharat abhiyan gram panchayat garbage vehicle delay

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Published On: Dec 23, 2025 | 12:23 PM

Topics:  

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