प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स:सोशल मीडिया )
Nashik Simhastha Kumbh Tree Cutting News : नाशिक सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए तपोवन की आरक्षित भूमि पर साधुग्राम बनाने की प्रक्रिया अब दोहरे संकट में फँस गई है। एक तरफ, वृक्ष कटाई के विरोध पर मुख्यमंत्री देवेंद्रफडणवीस ने तीखी टिप्पणी करते हुए राजनीतिक दलों को फटकार लगाई, वहीं दूसरी तराफ, 13 प्रमुख ट्रस्टों और संस्थाओं ने अपनी जमीनें अधिग्रहीत (संपादित) करने से साफ इनकार कर दिया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वृक्षकटाई के विरोध पर मंगलवार को आंदोलनकारी पर्यावरण प्रेमियों और राजनीतिक दलों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज का कुंभ मेला 15 हजार हेक्टेयर में होता है, जबकि नाशिक में सिंहस्थ कुंभ मेला महज 350 एकड़ जगह पर लगता है। मुख्यमंत्री ने सीधे सवाल उठाते हुए कहा कि अगर तपोवन की यह जगह भी नहीं मिली, तो सिंहस्थ होगा कैसे ? बिना वृक्ष काटे साधुग्राम कहां स्थापित किया जाएगा?
इसी बीच, मनपा ने साधुग्राम बनाने हेतु जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की तो 13 ट्रस्टों और संस्थाओं ने अपनी जमीने अधिग्रहीत करने से इनकार कर दिया। साधुग्राम के लिए आरक्षित 377 एकड़ में से अभी 283 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना बाकी है। आरक्षित क्षेत्र की लगभग 67 एकड़ जमीन इन 13 ट्रस्टों के पास है।
सुनवाई में उन्होंने बताया कि उनकी जमीनों पर वर्तमान में मंदिर, सभामंडप और गौशाला के निर्माण है, जिनका उपयोग धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए हो रहा है। सिंहस्थ के दौरान खाली जगह का उपयोग अखाड़ों के निवास स्थान के लिए होता है। ट्रस्टों ने साफ कहा कि वे आरक्षित क्षेत्र को हस्तांतरित करने का विरोध जताते हैं और अधिग्रहण की कार्रवाई रद्द करने की मांग की है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने तपोवन की जमीन पर वृक्षारोपण के बारे में बताया कि 2015-2016 की गूगल इमेज में उस जगह पर कोई पेड़ नहीं थे। अतिक्रमण न हो, इसलिए 2017-18 में मनपा ने बिना विचार किए अति-सघन तरीके से वृक्षारोपण करने का निर्णय लिया, यह ग़लत नहीं था, लेकिन यह नहीं सोचा गया कि 12 साल बाद यह जगह साधुग्राम के लिए उपयोग करनी पड़ेगी।
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मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि साधुग्राम के लिए आरक्षित भूमि पर वृक्ष कटाई को लेकर राजनीति करना अनुचित है। मुख्यमंत्री ने यह स्वीकार किया कि वृक्ष क्यों काटे जाएं, यह आंदोलनकारियों की भूमिका सही है, लेकिन इसमें बीच का रास्ता निकालना होगा। उन्होंने तीखा निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग धर्म को अफ़ीम की गोली कहते हैं, वही लोग इस आंदोलन स्थल पर दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने इस आंदोलन को समर्थन देने वाले उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे और रोहित पवार को भी सुनाया।
इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मतगणना आगे बढ़ाने के निर्णय पर भी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, मैं पिछले 25-30 सालों से स्थानीय निकाय चुनावों को देख रहा हूं, लेकिन घोषित चुनावों को आगे बढ़ते हुए मैं पहली बार देख रहा हूं। केवल 24 जगहों पर चुनाव होने थे, इसलिए सभी जगह की मतगणना को आगे बढ़ाना मुझे उचित नहीं लगता।