नासिक महानगरपालिका का सफाई ठेका फिर विवादों में
Nashik News: नासिक की बढ़ती आबादी, आगामी सिंहस्थ कुंभ मेला, और मानव शक्ति की कमी के कारण आउटसोर्सिंग के जरिए सफाई कर्मचारियों की भर्ती के लिए निकाले गए ठेके फिर से विवादों में आ गए हैं। इस बार ठेके को 3 भागों में विभाजित करने के कारण एन। एच। पटेल नामक ठेकेदार ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। यह तीसरी बार है जब यह ठेका अदालत पहुंचा है, और याचिकाकर्ता ने इसे केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताया है।
इससे पहले भी यह ठेका दो बार रद्द हो चुका है। साल 2020 में वॉटरग्रेस कंपनी को सफाई का काम मिला था, जिसकी अवधि 31 जुलाई 2023 को समाप्त हो गई थी। इसके बाद नई निविदा प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन सीवीसी के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के कारण यह विवादों में फंस गई। 5 साल के लिए 875 कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए 17.6 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया था लेकिन इसमें भी दिशानिर्देशों का उल्लंघन होने पर वॉटरग्रेस कंपनी ने उच्च न्यायालय का रुख किया और वह टेंडर रद्द कर दिया गया।
दूसरी बार टेंडर में बदलाव करते हुए कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर 1175 कर दी गई और 5 साल के लिए 237 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया। इसमें भी विशिष्ट ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की गई, जिसके बाद यह टेंडर भी रद्द कर दिया गया।
अब, तीसरी बार निविदा जारी करते समय अवधि और कर्मचारियों की संख्या कम कर दी गई और ठेके की कीमत 103 करोड़ रुपये तय की गई। लेकिन इस बार प्रशासन ने काम को तीन हिस्सों में बांट दिया, जिससे पटेल नामक व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है लेकिन, अदालत से अभी तक कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए प्रक्रिया जारी रहेगी। इस तीसरी निविदा में मे। वॉटरग्रेस प्रोडक्ट्स लि., ग्लोबल, लायन एजेंसीज और आर. एंड वी. इंफ्रा जैसी कंपनियों से चार आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनकी जांच निविदा समिति द्वारा की जाएगी।
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इसी बीच, सिडको क्षेत्र में बार-बार जलवाहिनी (पानी की पाइपलाइन) फटने की घटनाओं से पानी की भारी बर्बादी हो रही है, जिससे नागरिकों में भारी नाराजगी है। शनिवार 6 सितंबर को अभियंतानगर में भी ऐसी ही घटना हुई। सड़क की मरम्मत के दौरान एक पाइपलाइन में जोरदार टक्कर लगने से वह फट गई, जिससे तेज दबाव से पानी के फव्वारे सड़क पर बहने लगे। शहर के कई हिस्सों में पानी की गंभीर कमी है, ऐसे में इस तरह की लापरवाही से सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद होना चिंता का विषय है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि पाइपलाइन फटने के बाद जल आपूर्ति कर्मचारी समय पर मरम्मत के लिए नहीं आते हैं।