नासिक तीर्थ स्थल (pic credit; social media)
Nashik ‘A’ class pilgrimage Site: नासिक रामायण काल से पवित्र माना गया है, जहां हर बारह साल में सिंहस्थ कुंभ का विराट आयोजन होता है, जहां कालाराम मंदिर और रामकुंड जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं। वह आज भी ‘ए’ क्लास तीर्थ स्थल का दर्जा पाने से वंचित है। सवाल उठता है कि आखिर नाशिक को यह हक अब तक क्यों नहीं मिला?
राज्य सरकार ने तीर्थ स्थलों के लिए तय मानदंडों के मुताबिक, नाशिक हर कसौटी पर खरा उतरता है। यहां रोज़ाना हजारों श्रद्धालु आते हैं। हर साल लाखों भक्त रामकुंड में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। फिर भी 2015 में कुंभ मेले के बाद से ‘ए’ श्रेणी के दर्जे की फाइल मंत्रालय में धूल फांक रही है।
संत समुदाय का कहना है कि त्र्यंबकेश्वर को मार्च 2025 में ही ‘ए’ श्रेणी तीर्थ घोषित किया जा चुका है, जबकि असली कुंभ का केंद्र नाशिक है। महंत भक्ति चरणदास महाराज ने कहा, “हरिद्वार की तरह नाशिक की पहचान भी राष्ट्रीय स्तर पर होनी चाहिए। पर अफसोस, प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।”
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‘ए’ श्रेणी दर्जे के लिए सरकार ने कुछ सख्त मानदंड तय किए हैं। कम से कम 50 हजार श्रद्धालु प्रति वर्ष, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व, और जिला योजना समिति की स्वीकृति। नासिक इन सभी बिंदुओं पर खरा उतरता है, मगर जिला प्रशासन की लापरवाही और अधूरी रिपोर्टों के चलते प्रस्ताव अभी तक मंजूर नहीं हुआ है।
महंत शांताराम शास्त्री भानीसे ने कहा,“नाशिक देश के पांच महाक्षेत्रों में शामिल रहा है, लेकिन नेताओं की अनदेखी और अफसरशाही की सुस्ती ने इसे पीछे धकेल दिया है।”
‘ए’ श्रेणी का दर्जा मिलने से नासिक को राज्य और केंद्र से धार्मिक पर्यटन के लिए विशेष निधि मिलेगी। तीर्थयात्रियों के लिए सड़कें, आवास और सुरक्षा जैसी सुविधाएं बेहतर होंगी। साथ ही शहर की पहचान अंतरराष्ट्रीय धार्मिक मानचित्र पर और मजबूत होगी।
संतों का कहना है कि सरकार को प्रस्ताव पर तुरंत फैसला लेकर नासिक को उसका ‘हक’ देना चाहिए। आखिर रामकुंड की गंगा और कालाराम मंदिर की आस्था को अब तक इंतजार क्यों?