
नाशिक में एक मंच पर दिखेंगे महायुति के तीन मंत्री, सुविचार गौरव पुरस्कार समारोह में होंगे शामिल
Nashik News: पालकमंत्री पद की होड़ में एक-दूसरे को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती देने वाले महायुति के दिग्गज मंत्री छगन भुजबळ, गिरीश महाजन और दादा भुसे जल्द ही नाशिक में एक मंच पर एक साथ आ रहे हैं. कुंभमेला मंत्री समिति की बैठक के निमित्त ये मंत्री हाल ही में मुंबई में अन्य प्रतिस्पर्धी मंत्रियों के साथ एकत्र हुए थे. कुंभमेला के लिए बहुत कम समय बचा है. मंत्री समिति की स्थापना के एक महीने बाद इस नियोजन के लिए बैठक का शुभ मुहूर्त मिला. अब पालकमंत्री पद की होड़ में शामिल एड. माणिकराव कोकाटे के अपवाद को छोड़कर, महाजन, भुजबल और भुसे ये तीनों मंत्री सुविचार गौरव पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर एक साथ आ रहे हैं.
सुविचार गौरव पुरस्कार वितरण समारोह गुरुवार को शाम चार बजे कॉलेज रोड स्थित गुरुदक्षिणा सभागृह में हो रहा है. इन पुरस्कारों का वितरण जलसंपदा तथा कुंभमेला मंत्री गिरीश महाजन के हाथों, अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल की अध्यक्षता में और शिक्षामंत्री दादा भुसे की प्रमुख उपस्थिति में होगा. इस संबंध में जानकारी संयोजक आकाश पगार ने दी.
विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों के कार्यों को समाज के सामने लाने और उन्हें सम्मानित करने के लिए पिछले 5 वर्षों से सुविचार गौरव पुरस्कार दिए जा रहे हैं. इससे पहले भी इन पुरस्कारों का वितरण राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री खा. प्रफुल पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, मंत्री छगन भुजबल, पूर्व मंत्री जयंत पाटील आदि की उपस्थिति में हुआ है.
आगामी कुंभमेला के कारण नाशिक के पालकमंत्री पद को महायुति के सभी दलों ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है, जिसके चलते सत्ता स्थापित होने के कई महीने बाद भी यह मामला सुलझ नहीं पाया है. शुरुआत में पालकमंत्री पद पर महाजन की नियुक्ति हुई थी, लेकिन मित्र दलों के विरोध के कारण इसे स्थगित करना पड़ा. इस दौरान महाजन ने कुंभमेला मंत्री पद की बागडोर संभालकर काम शुरू किया.
जिले में सर्वाधिक विधायकों की संख्या के आधार पर राष्ट्रवादी (अजित पवार) के मंत्री माणिकराव कोकाटे और छगन भुजबळ ने भी पालकमंत्री पद पर दावा ठोका. गठबंधन में यह जिम्मेदारी संभालने के लिए दादा भुसे के लिए शिवसेना (एकनाथ शिंदे) अड़ी रही. परंतु, महाजन के नाम पर आपत्ति उठाने वाले मित्र दलों के लिए भाजपा ने कोई समझौता नहीं किया.
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कुंभमेला नियोजन के लिए स्थानीय मंत्रियों को शामिल करके मंत्री समिति का हल निकाला गया. लेकिन, पालकमंत्री पद की खींचतान कुछ कम नहीं हुई है. कुंभमेला मंत्री होने के नाते महाजन ने नाशिक के प्रशासनिक तंत्र पर अपनी पकड़ मजबूत की है. मित्र दलों में यह भावना प्रबल है कि वह पालकमंत्री के रूप में सक्रिय हो गए हैं. इस घटनाक्रम में तीनों प्रतिस्पर्धी मंत्रियों का पुरस्कार वितरण में एक साथ आना ‘सुविचार’ (अच्छा विचार) नहीं होगा, इस ओर राजनीतिक गलियारों का ध्यान है.






