नासिक छात्रावास घोटाला (pic credit; social media)
Fake Hostel Grant Scam: नासिक में पांच साल पुराने फर्जी छात्रावास अनुदान घोटाले में आखिरकार प्रशासन की नींद टूट गई है। सामाजिक कार्यकर्ता विठोबा लच्छिराम छानधान की लगातार लड़ाई के बाद जिला परिषद समाज कल्याण विभाग अब कार्रवाई के मूड में आ गया है।
समाज कल्याण अधिकारी हर्षदा बडगुजर ने संबंधित संस्था को 16 अक्टूबर तक सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया है। इनमें छात्रावास की इमारत का 7/12 उतारा, किराया समझौते की प्रति, हाउस टैक्स सर्टिफिकेट और निर्माण अनुमति पत्र शामिल हैं। चेतावनी दी गई है कि अगर तय समय में ये कागज जमा नहीं किए गए, तो संस्था के खिलाफ सरकारी अनुदान गबन और धोखाधड़ी का आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।
यह मामला साल 2020 का है जब सामाजिक कार्यकर्ता विठोबा छानधान ने खुलासा किया था कि एक संस्था ने फर्जी छात्रावास चलाने का दावा कर सरकार से अनुदान हड़प लिया। शिकायत में बताया गया था कि छात्रावास का जो पता दस्तावेजों में दर्ज था, वह असल में एक निजी मकान था। उस मकान के मालिक वाल्मीक दराखा ने साफ कहा कि उन्होंने कभी भी अपना घर किसी संस्था को किराए पर नहीं दिया।
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फिर भी, संस्था ने उसी पते पर छात्रावास दिखाकर पिछड़े वर्ग के छात्रों के नाम पर सरकारी अनुदान हासिल कर लिया। यह सीधा सरकारी धन का दुरुपयोग था।
2022 में समाज कल्याण विभाग ने छात्रावास की मान्यता तो रद्द कर दी थी, लेकिन गबन की वसूली और आपराधिक कार्रवाई का मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। अब विभागीय आयुक्त प्रवीण गेडाम के निर्देश के बाद जांच दोबारा शुरू की गई है और कार्रवाई की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता विठोबा छानधान के छह साल के संघर्ष का आखिरकार असर हुआ है। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि उन सभी छात्रों के लिए न्याय की लड़ाई है जिनके नाम पर धोखा हुआ।”
अब पूरा मामला प्रशासन की साख से भी जुड़ गया है। अगर तय समय में दस्तावेज नहीं दिए गए, तो आरोपी संस्था पर फौजदारी कार्रवाई तय है। नाशिक में यह घोटाला अब समाज कल्याण विभाग की जवाबदेही की बड़ी परीक्षा बन चुका है।