जलगांव में बाढ़ राहत की नहीं मिली मदद (pic credit; social media)
Jalgaon Flood Relief: जलगांव में सितंबर में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की जान और फसल दोनों पर कहर बरपाया। शुरुआती सरकारी फैसले में केवल चार तहसीलों को प्रभावित घोषित किया गया था, जिससे किसानों में नाराजगी फैली। हाल ही में जारी नए फैसले में अब पूरे 15 तहसीलों को प्राकृतिक आपदा से प्रभावित मान लिया गया है, लेकिन इसमें कोई आर्थिक सहायता नहीं होने की बात सामने आई है।
सरकार ने 9 अक्टूबर को पहले निर्णय में प्रभावित किसानों को विशेष सहायता पैकेज देने की घोषणा की थी। इसमें सुखायसा खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 18,500 रुपये, मौसमी बागवानी फसलों के लिए 27,000 रुपये और अन्य बागवानी फसलों के लिए 32,500 रुपये का पैकेज शामिल था। इसके अलावा, जमीन राजस्व में छूट, सहकारी ऋणों का पुनर्गठन, बिजली बिल में माफी और छात्रों की फीस में रियायत जैसी सुविधाएं भी तय की गई थीं।
लेकिन अगले ही दिन 10 अक्टूबर को जारी दूसरे फैसले में केवल रियायतों का ही जिक्र था, आर्थिक पैकेज का उल्लेख गायब था। इससे प्रभावित किसानों की आशाएं धुंधली हो गई हैं। किसान नेताओं ने इसे सरकार द्वारा भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताते हुए विरोध जताया है।
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पूर्व सांसद और किसान नेता उन्मेश पाटिल ने कहा कि सरकार ने किसानों की भावनाओं के साथ खेला है। उन्होंने सवाल उठाया कि बाढ़ और आपदा से जूझ रहे किसानों को उम्मीद दिखाकर फिर पीछे हटना उचित नहीं है। उनका कहना है कि किसानों को वास्तविक मदद मिलने के बजाय केवल रियायत दिखा कर उनका भरोसा खोला जा रहा है।
किसानों में रोष इस बात से भी बढ़ा है कि जब पहले निर्णय में चार तहसीलों को आर्थिक सहायता मिली, तो अब 11 अतिरिक्त तहसीलों में फसल नुकसान के लिए कोई पैकेज नहीं मिलेगा। इससे बाढ़ प्रभावित किसानों का संकट बढ़ गया है और आगामी फसल सीजन की तैयारी भी प्रभावित होने लगी है।
जलगांव के किसान और किसान नेता दोनों ही सरकार से तत्काल स्पष्टता की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि केवल रियायतों से काम नहीं चलेगा, आर्थिक मदद की जरूरत है ताकि फसल नुकसान की भरपाई हो सके और किसान अपने जीवन यापन के योग्य संसाधन पा सकें।