सांकेतिक तस्वीर
Nasik News: केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना के तहत नाशिक मनपा की स्कूलों को ‘स्मार्ट’ बनाने के लिए 64 करोड़ रुपये से अधिक की सामग्री खरीदने का दावा किया गया है, लेकिन हकीकत में ये सामग्रियां स्कूलों तक नहीं पहुंची हैं। यह आरोप कांग्रेस सेवादल ने लगाया है, जिसने मनपा आयुक्त से इस खरीद की जांच की मांग की है।
स्मार्ट सिटी कंपनी ने कथित तौर पर 64 करोड़ 5 लाख रुपये खर्च कर 88 स्कूलों को स्मार्ट बनाने का दावा किया है। इसके तहत 23 कंप्यूटर, 1112 सीसीटीवी कैमरे, हर कक्षा में 75 इंच की एलईडी स्क्रीन, और प्रधानाध्यापक व शिक्षकों के लिए मेज-कुर्सियां उपलब्ध कराई गई हैं। लेकिन कांग्रेस सेवादल द्वारा की गई जांच में कई गंभीर अनियमितताएं और कमियां सामने आई हैं।
सेवादल के अध्यक्ष वसंत ठाकुर ने कहा कि दस्तावेजों में प्रत्येक स्कूल को 23 कंप्यूटर दिए जाने का उल्लेख है, लेकिन हकीकत में कई स्कूलों में केवल 15, 18 या 20 कंप्यूटर ही पाए गए। कुल 1112 कैमरे लगाने का दावा किया गया है, जिससे औसतन हर स्कूल को कम से कम 12 कैमरे मिलने चाहिए थे, लेकिन कई स्कूलों में केवल 4, 5, 6 या 8 कैमरे ही मिले। हर कक्षा में 75 इंच की बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं, लेकिन लगभग 99% स्कूलों में थ्री-फेज बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण ये स्क्रीन चालू ही नहीं हो पातीं और बेकार पड़ी हुई हैं।
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वसंत ठाकुर ने सवाल किया, इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद, जब ये उपकरण छात्रों के लिए उपयोगी ही नहीं हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इन सभी अनियमितताओं को देखते हुए, सेवादल ने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की आशंका जताई है। वसंत ठाकुर ने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।