नागपुर जिला परिषद (फाइल फोटो)
Nagpur News: बीते करीब साढ़े 12 वर्ष तक नागपुर जिला परिषद में महिला अध्यक्षों का राज रहा लेकिन अब आगे पुरुष अध्यक्ष मिल सकता है। जिला परिषद ओबीसी सर्वसाधारण वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। इसके चलते महिला व पुरुष दोनों ही अध्यक्ष बन सकते हैं। हालांकि राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के बाद पुरुष सदस्य को अध्यक्ष बनने का मौका दे सकती हैं।
जिला परिषद के अध्यक्ष पद के लिए ग्राम विकास मंत्रालय ने आरक्षण घोषित कर दिया है जिसमें नागपुर जिला परिषद अध्यक्ष पद ओबीसी सर्वसाधारण वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। बीते 2 चुनावों में महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने के चलते 4 महिला सदस्यों ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। इनमें 2 भाजपा और 2 कांग्रेस पार्टी की रहीं। ओबीसी सर्वसाधारण के लिए पद आरक्षित होने से दोनों ही मुख्य पार्टियों के पुरुष कार्यकर्ताओं में खुशी देखी जा रही है।
बता दें कि जिला परिषद अध्यक्ष सुरेश भोयर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से जिला परिषद में 4 महिलाएं अध्यक्ष बनीं। वर्ष 2014 में भाजपा ने संध्या गोतमारे को अध्यक्ष बनाया था। उनके ढाई वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद निशा सावरकर को अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया गया। ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट में मामला होने के चलते राज्य सरकार ने चुनाव होते तक उनका कार्यकाल बढ़ा दिया।
इसके चलते उन्हें और लगभग ढाई वर्ष पद पर बने रहने का अवसर मिला था। वे 5 वर्ष तक अध्यक्ष बनी रहीं। उसके बाद कांग्रेस ने जेडपी में सत्ता पलट कर दिया। कांग्रेस पूर्ण बहुमत से चुनाव जीती। पहले ढाई वर्ष रश्मि बर्वे अध्यक्ष रहीं। उनके बाद मुक्ता कोकड्डे को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी। फिलहाल जिला परिषद में प्रशासक राज है। आगामी चुनाव के बाद जो भी पार्टी सत्ता में आए, अधिक संभावना है कि वह पुरुष सदस्य को अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान कर सकती है।
लगातार महिला सदस्यों की अध्यक्षता से दोनों ही मुख्य पार्टियों के पुरुष सदस्यों में मजबूरी भरी नाराजगी देखी जा रही थी। अब जब ओबीसी सर्वसाधारण के लिए यह पद आरक्षित हुआ है तो इच्छुक सदस्यों के मन में लड्डू फूट रहा है। भाजपा में कुछ सीनियर सदस्य इसकी कतार में हैं। इनमें कांग्रेस से भाजपा में आए मनोहर कुंभारे, आनंद राऊत के साथ ही अनिल निधान का नाम आगे है।
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वहीं कांग्रेस में नाना कंभाले, दिनेश ढोले, योगेश देशमुख, कुंदा राऊत के अध्यक्ष पद के दावेदार रहने की संभावना है। इस टर्म में पार्टी पुरुष या महिला किसे मौका देती है, यह देखने वाली बात होगी। अब सभी की नजरें सर्कल आरक्षण पर लगी हुई हैं। सर्कल आरक्षण से यह सुनिश्चित होगा कि कौन चुनाव लड़ पाएगा या नहीं।
अध्यक्ष | कार्यकाल वर्ष |
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बाबासाहब केदार | 1962 – 1967 |
बलीराम दखणे | 1967 1968 |
बाबासाहब केदार | 1968 – 1975 |
प्रभाकर किनखेड़े | 1975 – 1979 |
डी।जे। कुंभलकर (प्रभारी) | 1979 |
रणजीत देशमुख | 1979 – 1985 |
विठ्ठल टालाटुले | 1985 – 1992 |
पांडुरंग मते | 1992 |
सदानंद निमकर (प्रभारी) | 1992 |
अनिल देशमुख | 1992 – 1995 |
सदानंद निमकर (प्रभारी) | 1995 |
अशोक धोटे | 1995 – 1997 |
रत्नमाला पाटिल | 1997 |
बंडोपंत उमरकर (प्रभारी) | 1997 – 1998 |
रत्नमाला पाटिल | 1998 |
पुरुषोत्तम डाखोले | 1998 – 1999 |
सुमन बावनकुले | 1999 – 2002 |
सुनीता गावंडे | 2002 – 2005 |
श्यामदेव राऊत | 2005 – 2007 |
रमेश मानकर | 2007 – 2009 |
सुरेश भोयर | 2009 – 2012 |
संध्या गोतमारे | 2012 – 2014 |
निशा सावरकर | 2014 – 2019 |
रश्मि बर्वे | 2020 – 2022 |
मुक्ता कोकड्डे | 2022 – 2025 |