इंतहा हो गई ‘उड़ान’ के इंतजार की (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: नागपुर इन दिनों नए-नए एयरपोर्ट शुरू करने की होड़ सी लगी हुई है। राज्य में भी कई नए एयरपोर्ट शुरू हो चुके हैं और कई पाइपलाइन में हैं। निश्चित ही अच्छे संकेत हैं। विकास के पंख इन्हीं प्रोजेक्ट की बदौलत ‘उड़ान’ भरते हैं। नागपुर इसके विपरीत है। नागपुर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पंख लगने का इंतजार पिछले 4-5 वर्षों से किया जा रहा है। बार-बार आश्वासन मिल रहा है लेकिन प्रोजेक्ट ‘उड़ान’ नहीं भर पा रहा है। निजीकरण का इंतजार इतना बढ़ चुका है कि अब ‘पिछड़ने’ का डर सताने लगा है। हैदराबाद कोसों आगे निकल चुका है।
रायपुर, भोपाल भी टक्कर देने लगे हैं। ऐसे में ‘डर’ सताना गलत भी नहीं है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बार-बार आश्वासन दे रहे हैं। बावजूद ‘फाइल क्लियर’ नहीं होना आश्चर्य में डालता है। एयरपोर्ट का विकास नहीं कर पाने का दर्द केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी है और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी है। फडणवीस ने 5-7 बार आश्वासन दिया कि 2-3 माह में निर्णय हो जाएगा लेकिन नहीं हो पाया। गडकरी अपने चुनाव घोषणा पत्र में एयरपोर्ट के निजीकरण और विकास की बात कर चुके हैं लेकिन वे भी अपने प्रयास में विफल रहे। इसका उन्हें भी दर्द है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि एयरपोर्ट आखिर कब उड़ान भर पाएगा।
एयरपोर्ट का विकास नहीं होने का खामियाजा नागपुर उठा रहा है। एक बेहतर एयरपोर्ट से इसकी सूरत बदल सकती है और एविएशन सेक्टर में चार चांद लग सकते हैं लेकिन सब कुछ बेकार प्रतीत हो रहा है। राज्य में यह एयरपोर्ट पिछड़ता जा रहा है। पड़ोसी राज्यों से तुलना करना भी बेमानी हो गया है। न तो एयरपोर्ट विकसित हो रहा है और न ही नागपुर को इंटरनेशनल डेस्टिनेशन मिल रहे हैं। एयरपोर्ट तथा कार्गों हब को लेकर बातें बहुत होती रहती हैं लेकिन आंकड़े अब भी संतोषजनक नहीं हैं। एक ओर हम सिटी को ‘ग्लोबल सिटी’ के रूप में पेश कर रहे हैं तो दूसरी ओर एयरपोर्ट ‘लोकल’ बनकर रह गया है।
एयरपोर्ट के ग्लोबल नहीं बनने से गडकरी और फडणवीस दोनों ही दर्द महसूस कर रहे हैं लेकिन इसे खुशी में बदलने का समय आ गया है। प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाना काफी महत्व रखता है।
जब भी किसी शहर में कोई निवेशक या पर्यटक आता है तो एयर रूट से ही शहर में प्रवेश करता है। ऐेसे में एयरपोर्ट को देखकर सबसे पहले शहर की छवि सामने उभरती है। नागपुर एयरपोर्ट के अंदरूनी भाग को देखकर ‘वैश्विक’ कल्पना नहीं की जा सकती है। निवेशक या यात्री एयरपोर्ट देखकर ही ‘सहम’ जाते हैं। ऐेसे वक्त में जब देश के कई हवाई अड्डे शानदार और आलीशान हो गए हैं, उस दौर में नागपुर पीछे छूट जाता है। आज सिटी के इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विकास को लेकर ‘टाइमपास’ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दिवाली (2022) के पूर्व से दावा कर रहे हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपकर नये सिरे से इसे विकसित करने का उनका सपना सपना ही बनकर रह गया है। मिहान के एक कार्यक्रम में उन्होंने ‘सेकंड रनवे’ का भी जिक्र किया और कहा था कि निजीकरण के साथ-साथ सेकंड रनवे के लिए भी कार्य को आगे बढ़ा दिया गया है। उनकी घोषणाओं का असर अधिकारियों पर नहीं पड़ा। संभवत: यही कारण है कि ‘एयरपोर्ट’ का विकास अटका पड़ा है।
वास्तविकता तो अब यही लगने लगी है कि सीएम की घोषणाओं को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। सीएम को एक ही प्रोजेक्ट को लेकर बार-बार बयान देना पड़ रहा है। कई बार बैठकें भी हो चुकी हैं लेकिन बैठकों का सकारात्मक नतीजा जमीन पर उतरता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। इससे जनता के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
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जब यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया था तब 1,688 करोड़ रुपये की विस्तारीकरण रिपोर्ट तैयार की गई थी। एविएशन क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अब यह कास्ट डबल हो जाएगी। यानी समय बर्बादी का खर्च और 1,688 करोड़ भुगतान कर उठाना होगा। निश्चित रूप से यह सभी के लिए काफी महंगा सौदा साबित होगा।