
वोटर लिस्ट (सौजन्य-सोशल मीडिया)
 
    
 
    
Maharashtra Local Elections: नागपुर में मतदाता सूची से नाम गायब होने के मामले में न केवल देशभर में बल्कि राज्य में भी राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष छिड़ा हुआ है। हाल ही में राज्य सरकार की ओर से नगर पंचायत से लेकर महानगरपालिकाओं तक के चुनाव कराने की घोषणा की गई है। इसके अनुसार अब प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
हाल ही में प्रारूप मतदाता सूची प्रेषित की गई जिस पर आपत्ति और सुझाव मंगाए गए हैं। मतदाता सूची से नाम गायब होने के कारण याचिकाकर्ता संजय राऊत ने जिला चुनाव अधिकारी के पास आवेदन किया था किंतु इस पर निर्णय नहीं लिए जाने के कारण हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।
इस पर सुनवाई करते हुए अवकाशकालीन न्यायाधीश रजनीश व्यास ने मतदाता सूची से नाम हटाने के मामले में जिला चुनाव अधिकारी को जल्द निर्णय लेने के आदेश दिए। याचिका में जिला चुनाव अधिकारी, हिंगना के मतदाता पंजीयन अधिकारी, हिंगना के ही सहायक मतदाता पंजीयन अधिकारी, काटोल के मतदाता पंजीयन अधिकारी, सहायक मतदाता पंजीयन अधिकारी और कोंढाली नगर पंचायत के सीओ को प्रतिवादी बनाया गया।
याचिकाकर्ता ने मतदाता के रूप में अपना नाम हटाए जाने की कार्रवाई को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। याचिकाकर्ता ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने पहले ही जिला चुनाव अधिकारी के समक्ष अपील दायर कर दी थी। याचिका में उल्लेख किया गया कि यह अपील 17 अक्टूबर 2025 को दायर की गई थी किंतु इस संदर्भ में किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया है।
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सुनवाई के दौरान सरकार की पैरवी कर रहे सहायक सरकारी वकील ने निष्पक्ष रूप से स्वीकार किया कि विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जिला चुनाव अधिकारी को तुरंत अपील पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जा सकता है। इस पर हाई कोर्ट ने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने से संबंधित इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए नागपुर के जिला चुनाव अधिकारी को एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपील पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि एजीपी उसी दिन इस आदेश की सूचना जिला चुनाव अधिकारी को देंगे। चूंकि न्यायालय ने अपील पर शीघ्र निर्णय के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी थी, इसलिए याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय से रिट याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी है कि यदि भविष्य में कारण उत्पन्न होता है तो वे पुनः न्यायालय का रुख कर सकते हैं। इस निर्देश के साथ रिट याचिका का निपटारा कर दिया गया है। कार्रवाई के लिए आदेश की प्रमाणित प्रति दोनों पक्षों के वकीलों को उपलब्ध कराई जाएगी।






