
वीआईए ने एमएसईडीसीएल पर बड़ा आरोप (सौजन्यः सोशल मीडिया)
MSEDCL: विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (वीआईए) ने एमएसईडीसीएल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि 1 अप्रैल 2025 से अब तक उपभोक्ताओं से लगभग 20% अधिक बिजली दर अवैध रूप से वसूली जा रही है। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 17 नवंबर 2025 को पारित आदेशों का खुला उल्लंघन है।
वीआईए ऊर्जा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष आर. बी. गोयंका के अनुसार वैधानिक रूप से मान्य बिजली दर महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) ने 28 मार्च 2025 को निर्धारित की थी। यह आदेश 4,485 उपभोक्ताओं की आपत्तियों व सुझावों पर सार्वजनिक सुनवाई के बाद पारित किया गया था। इसमें बीपीएल व घरेलू उपभोक्ताओं सहित सभी श्रेणियों के लिए दरों में कमी का प्रावधान था।
एमएसईडीसीएल ने आरजीजीपीएल (दाभोल), अदाणी पावर और महाजेनको जैसी विद्युत उत्पादक कंपनियों के भुगतान हेतु उपभोक्ताओं से अतिरिक्त 11,751 करोड़ रुपये वसूलने की अनुमति भी मांगी है। वीआईए ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि समीक्षा तभी वैध है जब वह केवल लिपिकीय या अंकगणितीय त्रुटि के सुधार के लिए की जाए और वह भी सार्वजनिक सुनवाई के बाद।
इसके बावजूद एमईआरसी ने 25 जून 2025 को बिना सार्वजनिक सुनवाई के संशोधित टैरिफ आदेश जारी कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप औसतन 20% की वृद्धि हुई और टाइम ऑफ डे (टीओडी) स्लॉट में बदलाव के कारण सौर व नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ अव्यवहारिक हो गईं।
वीआईए और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जून 2025 के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि हितधारकों से परामर्श किए बिना ऐसी बढ़ोतरी गैरकानूनी है और 28 मार्च 2025 का मूल टैरिफ पुनः लागू होना चाहिए। एमएसईडीसीएल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील किए जाने पर अदालत ने 17 नवंबर 2025 को मामला पुनः समीक्षा हेतु एमईआरसी को भेजते हुए 12 सप्ताह में निर्णय का आदेश दिया और हाईकोर्ट के निर्देशों को यथावत रखा।
ये भी पढ़े: CM-DCM गलत जानकारी फैला रहे, भास्कर जाधव का आरोप, 10% की शर्त कानून में है ही नहीं
वीआईए अध्यक्ष प्रशांत मोहता ने कहा कि 25 जून 2025 का आदेश अदालत द्वारा अवैध घोषित किया जा चुका है, इसलिए 1 अप्रैल 2025 से 28 मार्च 2025 का टैरिफ लागू होना चाहिए और अप्रैल से नवंबर 2025 तक की अतिरिक्त वसूली उपभोक्ताओं को वापस की जानी चाहिए। वीआईए ने चेतावनी दी कि किसी भी अतिरिक्त दर वृद्धि से महाराष्ट्र के घरेलू व औद्योगिक उपभोक्ताओं पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा






