वन्यजीवों के लिए अंडरपास, सर्वे को हरी झंडी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur District: वन क्षेत्रों में विशेष रूप से ट्रेनों की आवाजाही के कारण वन्यजीवों की हो रही मौत पर चिंता जताते हुए उदयन पाटिल की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। सोमवार को याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने जहां एनटीसीए, वन विभाग और याचिकाकर्ता के संयुक्त सर्वे को हरी झंडी प्रदान की, वहीं 30 नवंबर तक संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश भी राज्य सरकार को दिए।
चूंकि याचिकाकर्ताओं को मामले के विषय के बारे में जानकारी है, इसलिए कोर्ट ने उन्हें केंद्र सरकार के साथ-साथ वन विभाग के अधिकारियों के साथ प्रस्तावित संयुक्त निरीक्षण में शामिल होने की अनुमति दी है। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे संयुक्त निरीक्षण करते समय याचिकाकर्ताओं को अपने साथ रहने की अनुमति दें।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वाई. एन.सांबरे ने अदालत को बताया किया कि वर्ष 2018 में ही एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसके आधार पर अंडरपास की संख्या निर्धारित की गई थी और इसकी एक रिपोर्ट भी तैयार की गई थी। यह जनहित याचिका उस रेलवे ट्रैक से संबंधित है जिसके बारे में वन्यजीवों की टक्कर कम करने के लिए सुझाव दिए गए थे। यह आरोप लगाया गया है कि ये सुझाव 2018 से मौजूद हैं और वन विभाग को इसकी जानकारी भी है, इसके बावजूद रेलवे द्वारा अंडरपास प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए हैं।
कोर्ट में प्रतिवादियों की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ एक संयुक्त निरीक्षण का सुझाव दिया था, जिसे वन विभाग ने स्वीकार कर लिया। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रही सहायक सरकारी वकील खान ने अदालत को बताया कि संयुक्त निरीक्षण की रिपोर्ट नवंबर के अंत तक प्रस्तुत कर दी जाएगी। कोर्ट को बताया गया कि संयुक्त निरीक्षण 29 अक्टूबर, 2025 को शुरू होगा और 20 नवंबर, 2025 तक पूरा हो जाएगा।
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इस निरीक्षण की रिपोर्ट 30 नवंबर, 2025 को या उससे पहले प्रस्तुत करनी होगी। अदालत ने उम्मीद जताई है कि संयुक्त निरीक्षण के माध्यम से 2018 में प्रस्तावित अंडरपासों की संख्या और सुझावों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक अंडरपासों की संख्या का पता लगाया जाएगा और निर्धारित किया जाएगा।