बुरड़ समाज (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: बुरड़ समाज व मजदूरों की स्थिति दयनीय है। सरकार ने समय-समय पर कानून पारित किए। लेकिन वे सभी कानून धरे के धरे रह गए। वन विभाग को सस्ता बांस मिलना बंद हो गया। सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में जीवन कैसे जिया जाए। बुरड़ मजदूरों ने कहा कि हमारी जिंदगी बांस पर ही टिकी है।
प्लास्टिक के युग में बांस के उत्पादों की ज्यादा मांग नहीं है। लेकिन बांस के कुछ उत्पाद घरेलू सामान के रूप में आवश्यक हो गए हैं। टोकरिया, सूप, बेंडवे आदि वस्तुएं प्लास्टिक की नहीं बनतीं। इसके विपरीत वे चीजें इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि वे बांस से बनी होती हैं। बुरड़ व्यापारियों को अच्छी गुणवत्ता और समय पर बांस की आपूर्ति नहीं होने से पारंपरिक व्यवसाय रसातल में चला गया है।
बुरड़ समुदाय प्राचीन काल से ही विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करता रहा है और उससे अपने परिवार का भरण-पोषण करता रहा है। क्षेत्र में जंगल अधिक है। लेकिन जंगल में जाना वर्जित है। वन विभाग बुरड़ मजदूरों को नियमित बांस उपलब्ध नहीं कराता है। जिससे ग्रामीण मजदूरों का पतन शुरू हो गया है। बांस की अनुपलब्धता के कारण यह समाज पारंपरिक कला से दूर होने लगा है।
औद्योगीकरण से कारखानों में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन होता है। जिससे गरीब मजदूरों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के लिए कोई बाजार नहीं है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बुरड़ मजदूर हैं जो सूप, टोकरियां, बेंडवे, प्लेट, पंखे और कलात्मक वस्तु बनाते हैं। इसके अलावा गांवों के बुरड़ मजदूर बांस से चटाई, तट्टे आदि बनाते हैं। वन विभाग की अनदेखी और बांस की कमी के कारण मजदूरों को निजी तौर पर किसानों से बांस खरीदना पड़ता है।
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उन्हें कभी-कभी बांस डिपो से बांस मिल जाता है। यदि सूखा बांस खरीदते हैं, तो उसे गीला करने के लिए नदी में पानी नहीं है। जिससे बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। बांस से बनी सूप, टोकरी आदि सामग्री बेचने के लिए गांव-गांव भटकना पड़ता है। ऐसे में यदि सामग्री नहीं बिकी तो बिक्री सामग्री को घर वापस लाना पड़ता है।
नियमित रोजगार के अभाव में आधे भूखे रहने वाले इन मजदूरों के बच्चों की शिक्षा भी अंधेरे में है। आज की स्थिति में ये मजदूर कोई न कोई व्यवसाय करते हैं। यह एक जीती-जागती हकीकत है कि सरकार के पास इनके प्रति कोई नीति नहीं होने के कारण ऐसा समय आया है। सरकार को बुरड समुदाय की कलाओं को विकसित करने और उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बढ़ाने की आवश्यकता है।