प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: साेशल मीडिया)
Nagpur Smart City Scheme: देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनाने की योजना में नागपुर सिटी को भी शामिल किया गया। लंबे समय तक इसके तहत कुछ कार्यों के टेंडर भी जारी किए गए। यहां तक कि कई बार इसे समय विस्तार दिया गया किंतु अब केंद्र सरकार ने निर्णय लेकर स्मार्ट सिटी योजना ही बंद कर दी। केंद्र सरकार की ओर से भले ही योजना बंद करने की घोषणा की गई हो किंतु इसके तहत चल रहे कार्य का आर्थिक बोझ मनपा पर पड़ने जा रहा है। यही कारण है कि मनपा पर अब वित्तीय समस्या से दो-चार होने की नौबत है।
बताया जाता है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पिछले साल 31 दिसंबर से मनपा को हस्तांतरित हो गया। इस प्रोजेक्ट में 47 में से 7 प्रोजेक्ट अधूरे हैं। इन 7 प्रोजेक्ट का भार अब मनपा के कंधों पर आ गया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पूर्व नागपुर के पारडी, भरतवाड़ा और पुनापुर इलाकों में 1,730 एकड़ जमीन पर कई प्रोजेक्ट प्रस्तावित किए गए थे।
नागपुर स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को स्मार्ट सिटी योजना के लिए केंद्र सरकार से 741.63 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। इनमें मुख्य रूप से 2 योजनाएं शामिल हैं। पहली योजना में 524 करोड़ रुपये की स्मार्ट एंड सेफ सिटी योजना शामिल है।
इसमें सीसीटीवी निगरानी, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर और ट्रैफिक निगरानी प्रणाली सहित 17 स्मार्ट समाधान शामिल हैं। दूसरी योजना में 741.62 करोड़ रुपये की लागत से पारडी, भांडेवाड़ी, भरतवाड़ा, पूनापुर में 1,743 एकड़ भूमि का पुनर्विकास शामिल था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्मार्ट एंड सेफ सिटी के लिए राज्य सरकार से 400 करोड़ रुपये प्रदान करके इस योजना को बढ़ावा दिया, जबकि केंद्रीय स्मार्ट सिटीज फंड से 124 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
7 अधूरी योजनाओं में से 6 प्रगति पर हैं। इनमें से अधिकांश सड़क निर्माण कार्य हैं। नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा भूमि के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने से इनकार करने के कारण पुनर्वास रुका हुआ है। पूरी हो चुकीं 39 योजनाओं के हस्तांतरण की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। स्मार्ट सॉल्यूशंस घटक के तहत शहर में 3,698 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
इन योजनाओं के हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मनपा ने केलट्रॉन को 5 साल की अवधि के लिए सीसीटीवी कैमरों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी है। अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए मनपा कंपनी को सालाना 25 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा। इसके अलावा, रोबोटिक ड्रेनेज स्वच्छता प्रणाली पर निर्णय अभी लंबित है। इस प्रणाली के रखरखाव और मरम्मत के लिए 7 साल का अनुबंध भी प्रस्तावित है।
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बताया जाता है कि नागरिकों को एक ही स्थान पर मनपा, राज्य और केंद्र सरकार की सेवाएं प्रदान करने के लिए 2018 में लगाए गए 65 स्मार्ट कियोस्क, प्रमुख विभागों से जुड़े न होने के कारण धूल खा रहे हैं।
स्मार्ट सिटी कंपनी यह सुनिश्चित करने में विफल रही है कि ये कियोस्क नागरिकों के लिए उपयोगी बने रहेंगे और करदाताओं के पैसे से लगाए गए कियोस्क कई जगहों पर बंद भी हो चुके हैं। इन सभी योजनाओं के हस्तांतरण के बाद मनपा के सामने स्मार्ट सिटी में मूलभूत ढांचे को बनाए रखने की एक बड़ी चुनौती होगी।