प्रशासन की चुप्पी और नागरिकों की बेबसी\ (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: 21वीं सदी में भारत जब स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ रहा है, वहीं नागपुर के एक इलाके की यह तस्वीर हमें विकास की हकीकत से रूबरू कराती है। एक पुराना कुआं और उस पर लटकती सैकड़ों पाइपें, मोटर पंप, रस्सियों और तारों का जाल। यह सिर्फ तस्वीरें नहीं, बल्कि नागपुर में पानी के लिए जूझते लोगों की सच्चाई है। इस इलाके के लोगों के लिए पानी अब एक जरूरत नहीं, बल्कि एक संघर्ष बन गया है।
यहां हर घर से एक पाइप इस कुएं तक आता है, जिससे वे पानी खींचते हैं। दिन की शुरुआत इसी कुएं के चक्कर लगाते हुए होती है, और अगर किसी की मोटर खराब हो जाए या समय पर न पहुंचे, तो पूरे दिन पानी की आस अधूरी रह जाती है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि कई सालों से यहां जल संकट की स्थिति बनी हुई है। “सरकारी टैंकर कभी-कभी आते हैं, लेकिन उसमें पूरा मोहल्ला कैसे प्यास बुझाए? इसलिए हर किसी ने इस कुएं में अपना रास्ता बना लिया है,” एक बुजुर्ग ने बताया।
यह तस्वीर केवल एक मोहल्ले की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था का प्रतीक है जो पानी जैसी बुनियादी सुविधा भी हर नागरिक तक नहीं पहुंचा सकी। कुएं की यह हालत बताती है कि कैसे नागरिक खुद अपने स्तर पर समाधान निकालने को मजबूर हैं। कुएं के चारों ओर फैले पाइप, तार, और मोटरों की उलझन ना सिर्फ अव्यवस्था को दर्शाती है, बल्कि यह सुरक्षा के लिहाज़ से भी खतरनाक है। कई बार मोटर फटने या करंट लगने की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके, लोग जान जोखिम में डालकर पानी भरते हैं — क्योंकि दूसरा कोई रास्ता नहीं है।
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कई बार स्थानीय प्रशासन से शिकायतें की गईं, मगर जवाब में केवल आश्वासन मिला। पाइपलाइन बिछाने की योजनाएं वर्षों से कागजों में ही बंद हैं। सवाल उठता है कि क्या ‘हर घर नल, हर घर जल’ जैसे सरकारी वादे सिर्फ चुनावी नारों तक ही सीमित रह गए हैं?
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इस इलाके जैसे क्षेत्रों की वास्तविक ज़मीनी स्थिति को प्राथमिकता दी जाए। यहाँ केवल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, जीवन की जरूरतें अधूरी हैं। जब तक हर नागरिक को साफ पानी उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, तब तक विकास के दावे अधूरे ही रहेंगे। यह तस्वीर हमें याद दिलाती है कि भारत में अभी भी ऐसे कई कोने हैं जहाँ लोग हर दिन जीने के लिए ‘पानी के लिए लड़ाई’ लड़ते हैं।