22वें दिन भी जारी स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल
नागपुर. सेवा में स्थायी करने की मांग को लेकर जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के कर्मचारी-अधिकारियों की हड़ताल 22वें दिन भी जारी रही. हड़ताल की वजह से ग्रामीण भागों में अभियान के सभी काम ठप हो गये हैं. बाल विकास योजना सहित जननी सुरक्षा योजना के कार्य बंद होने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है. स्थिति यह है कि गर्भवती महिलाओं का समुपदेशन बंद हो गया है. वहीं महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में भी नहीं ले जाने वाले कर्मचारी नहीं है.
पौष्टिक आहार योजना का काम भी रुक गया है. सरकार द्वारा मांगों पर किसी भी तरह की गंभीरता नहीं दिखाये जाने की वजह से अब कर्मचारियों ने विधायकों के घर जाकर भाऊबीज मानने का आंदोलन शुरू किया है. इससे पहले कर्मचारियों ने काली दिवाली भी मनाई. अब 20 नवंबर को भंडारा के दौरे पर आने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को विदर्भ के सभी जिलों के प्रतिनिधि मिलने वाले हैं. शुरुआत में हड़ताल में करीब 1,600 कर्मचारी-अधिकारी शामिल हुये थे लेकिन अब सभी 2,700 कर्मचारी हड़ताल पर है.
उपकेंद्रों सहित पीएचसी में सेवा प्रभावित हो गई है. कई जगह ओपीडी बंद पड़ गई है. साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान की सभी तरह की रिपोर्टिंग और मरीजों का डेटा भेजना भी बंद कर दिया गया है. इससे सरकार को योजना के कार्यान्वयन में भी दिक्कतें आ रही हैं. कर्मचारी-अधिकारी कृति समिति का कहना है कि सरकार मांगों पर जरा भी गंभीर नहीं है. मुंबई में अब तक दो-तीन दौर की बैठकें भी हुई लेकिन सरकार सकारात्मक निर्णय लेने को तैयार ही नहीं है. यही वजह है कि कर्मचारी भी अपनी जिद पर अड़े हैं. जब अन्य राज्यों में कर्मचारियों को स्थायी किया जा सकता है तो फिर महाराष्ट्र क्यों कतरा रहा है.