नागपुर न्यूज
Nagpur News: नागपुर में शासकीय ठेकेदार पेनमाचा उर्फ मुन्ना वर्मा की आत्महत्या के मामले में पुसद अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष शरद मैंद की गिरफ्तारी तो हुई लेकिन उसकी कस्टडी पुलिस को नहीं मिल पाई और जमानत हो गई। अब पुलिस ने मैंद के खिलाफ धोखाधड़ी का एक और मामला दर्ज किया है। इस बार भी मैंद ने एक कांट्रेक्टर को फंसाया और उनकी आंखों में धूल झोंककर 14 मजदूरों के नाम पर 6.68 करोड़ रुपये का लोन जारी कर दिया, जबकि यह राशि उन लोगों को कभी मिली ही नहीं जिनके नाम पर लोन जारी किया गया था।
पुलिस ने शरद मैंद को दोबारा गिरफ्तार भी कर लिया है। अन्य आरोपियों में भारती मैंद पत संस्था नरेंद्रनगर शाखा के मैनेजर, संचालक मंडल और प्रशासकीय अधिकारियों का समावेश है। सावंगी मेघे, वर्धा निवासी चंद्रसेन गयाप्रसाद यादव (43) की शिकायत पर अजनी थाने में मामला दर्ज किया गया। चंद्रसेन ने अपनी शिकायत में बताया कि वो मुन्ना वर्मा के साथ लेआउट विकसित कर रहे थे।
इसी दौरान मैंद से उनका परिचय हुआ था। मुन्ना ने मैंद की भारती मैंद पत संस्था से भी लोन लिया था। वर्मा की मौत के बाद उनके घर जाने पर पता चला कि मैंद ने कई लोगों के नाम पर फर्जी लोन जारी किए हैं और उसकी वसूली के लिए प्रताड़ित किया जाता है। उसकी प्रताड़ना से तंग आकर वर्मा ने आत्महत्या की।
चंद्रसेन ने भी 30 दिसंबर 2023 को भारती मैंद पत संस्था में लोन के लिए आवेदन दिया था। मैंद ने उन्हें 12 पहचान करने वाले व्यक्तियों को आधार और पेनकार्ड के साथ लाने को कहा था। चंद्रसेन 12 लोगों को साथ ले गए लेकिन लोन नहीं मिला। मार्च 2025 में उन्होंने फिर लोन के लिए आवेदन दिया। तब भी मैंद ने 6 लोगों को पहचान और गारंटी के लिए संस्था में बुलवाया था। यादव अपने साथ मजदूर और रोजंदारी पर काम करने वाले 5 परिचित लोगों को ले गए।
उनके नाम पर 1.95 करोड़ रुपये का लोन जारी हुआ लेकिन संस्था द्वारा केवल 1 करोड़ 8 लाख रुपये दिए गए। मुन्ना की आत्महत्या का मामला सामने आने के बाद चंद्रसेन ने संस्था कार्यालय में जाकर पूछताछ की तो पता चला कि जिन लोगों से पहचानकर्ता बताकर हस्ताक्षर लिए गए थे, उनके नाम पर कर्ज जारी हुए हैं लेकिन कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई।
वर्मा आत्महत्या प्रकरण में क्राइम ब्रांच ने चंद्रसेन को कार्यालय में बुलाया। संस्था से जब्त किए गए दस्तावेज दिखाए गए। तब चंद्रसेन को पता चला कि उनके साथ पहचानकर्ता बनकर संस्था में गए लोगों से कोरे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर लेकर 14 लोगों के नाम पर 6.68 करोड़ रुपये का लोन जारी कर दिया गया। न तो उनकी संपत्ति गिरवी रखी गई और न ही आय के स्रोत के बारे में पूछा गया।
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जिन लोगों के नाम पर लोन जारी हुआ है वो मजदूर, प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन और बिछायत का काम करते हैं। मैंद ने उनके नाम पर संस्था से फर्जी लोन तो जारी करवा दिए लेकिन उन्हें फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। चंद्रसेन की शिकायत पर नया मामला दर्ज करते ही पुलिस ने मैंद को गिरफ्तार कर लिया है। गुरुवार को उसे न्यायालय में पेश कर पुलिस हिरासत मांगी जाएगी।