
हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Nagpur News: दीपावली के अवकाश के बाद सोमवार से हाई कोर्ट में होने जा रही नियमित सुनवाई के लिए कुछ मामूली परिवर्तन के साथ जजों की बेंच होगी। 4 द्वय बेंच तथा 7 सिंगल बेंच के समक्ष अलग-अलग मामलों से संबंधित सुनवाई और आदेश होंगे। हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा इस संदर्भ में सूचनाएं जारी की गई हैं। न्या. अनिल किलोर और न्या. रजनीश व्यास की वाणिज्यिक अपीलीय डिवीज़न बेंच है।
इस बेंच को सभी जनहित याचिकाएं, टेंडर मामलों से संबंधित सिविल रिट याचिकाएं और पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित सिविल रिट याचिकाएं सौंपी गई हैं। यह बेंच वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 की धारा 13 के तहत अपीलें भी सुनेगी। न्या. एम.एस. जावलकर और न्या. एम.डब्ल्यू. चांदवानी की डबल बेंच जाति जांच समिति के मामलों से संबंधित सभी सिविल रिट याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इसके अलावा यह MEPS अधिनियम और स्थानीय प्राधिकरणों जैसे जिला परिषद, नगर परिषद और मनपा आदि से संबंधित सेवा मामलों को भी देखेगी।
न्या. अनिल पानसारे और राज वाकोडे की बेंच को सभी आपराधिक रिट याचिकाएं, प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क से संबंधित सभी रिट याचिकाएं, अपीलें और आवेदन सौंपे गए हैं। साथ ही वर्ष 2020 से लंबित दोषसिद्धि और बरी होने के विरुद्ध सभी आपराधिक अपीलें (अंतिम सुनवाई के लिए) यह बेंच सुनेगी। न्या. उर्मिला जोशी-फालके और न्या. नंदेश देशपांडे की डबल बेंच के समक्ष धारा 482 के तहत दर्ज फौजदारी मामलों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई होगी।
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न्या. सिद्धेश्वर ठोंबले की बेंच में वर्ष 2020 तक की सभी सिविल रिट याचिकाओं की सुनवाई करेगी। न्या. रोहित जोशी की बेंच में वर्ष 2021 से 2023 तक की सिविल रिट याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इसके अलावा वर्ष 2013 तक की अंतिम सुनवाई वाली रिट याचिकाओं को भी यही बेंच देखेगी। न्या. प्रफुल्ला खुबालकर की बेंच में वर्ष 2024 से आगे की सिविल रिट याचिकाएं और वर्ष 2021 से आगे की सभी फर्स्ट अपीलें (MACP सहित) सुनी जाएंगी।
नई सिटिंग लिस्ट में कुछ मामलों को प्राथमिकता दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। जिन मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने शीघ्र सुनवाई या समयबद्ध सुनवाई का आदेश दिया है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। वरिष्ठ नागरिकों और हाशिए पर पड़े वर्ग के मामलों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसे आपराधिक अपीलों को प्राथमिकता दी जाएगी जो 5 साल से अधिक समय से लंबित हैं और जिनमें आरोपी जेल में हैं।






