
नागपुर मेडिकल कॉलेज (फाइल फोटो)
Nagpur Medical College: शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में 1100 करोड़ रुपये के विकास कार्य जारी है लेकिन अब भी पुराने विभागों के लिए नई इमारत की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। नेत्र विभाग की स्थिति विचित्र है। जांच किसी इमारत में और ऑपरेशन किसी अन्य इमारत में होता है। वहीं विविध तरह की टेस्ट के लिए मरीजों को भटकना पड़ता है।
50 वर्षों बाद में विभाग एक छत के नीचे नहीं आ सका है। प्रशासनिक स्तर पर दर्जनों पत्र-व्यवहार के बाद भी गंभीरता नहीं बरती जा रही है। नेत्र विभाग को दो दशक पहले परिवार कल्याण केंद्र की इमारत में स्थानांतरित किया गया था। तब से नई इमारत के लिए कोई प्रयास ही नहीं किया गया। पिछले वर्षों में मरीजों की संख्या बढ़ी है। हर दिन 300 मरीजों की ओपीडी होती है। जगह कम होने से मरीजों की लंबी कतार लगती है।
सभी मिलाकर करीब 10 कमरे भी नहीं होंगे जिनमें जांच होती है। मौजूदा इमारत 50 वर्ष से अधिक पुरानी होने से जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई है। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है। छात्राओं सहित नर्सों के बैठने के लिए जगह की कमी है। इतना ही नहीं, आधुनिक लेक्चर हॉल तक नहीं है। एक दशक पहले 35 लाख रुपये खर्च कर ओपीडी के लिए कक्ष बनाये गये लेकिन यहां भी जगह की कमी बनी हुई है। डॉक्टरों के बैठने तक के लिए जगह पर्याप्त नहीं है।
विभाग में जांच करने के बाद यदि किसी मरीज का ऑपरेशन करना हो तो फिर से मेडिकल में जाकर टेस्ट कराना पड़ता है जबकि भर्ती होने के लिए वार्ड भी अलग है। पहली मंजिली वार्ड में मरीजों को भर्ती किया जाता है जबकि ग्राउंड फ्लोर पर बने ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन किये जाते हैं। ऑपरेशन थियेटर भी वर्षों पुराने हैं। इस वजह से आधुनिक मशीनों के रखरखाव में दिक्कतें आ रही हैं। नई इमारत के लिए पिछले वर्षों से प्रस्ताव दिया गया है लेकिन मेडिकल प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
यह भी पढ़ें – आरक्षण मुद्दे पर बोलेंगे शरद पवार? बावनकुले ने चुप्पी पर दागा सवाल, बोले- सभी को आरक्षण संभव नहीं
विभाग की इमारत पुरानी होने के कारण इसका स्ट्रक्चरल ऑडिट अनिवार्य हो गया है। पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी द्वारा पत्र दिये जाने के बाद वीएनआईटी की टीम ने निरीक्षण किया और ऑडिट के लिए 4 लाख 72 हजार जमा करने को कहा गया लेकिन निधि जमा की गई की नहीं, यह बताने कोई तैयार नहीं है। स्ट्रक्चरल ऑडिट के बाद ही इमारत का भविष्य तय होगा। यानी अगले कुछ वर्षों तक विभाग को नई इमारत के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है।






