
पंकज भोयर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Supreme Court TET Order: सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने से कई शिक्षकों की बड़ी मुश्किल खड़ी होने वाली है। इस पर समाधान निकालने के लिए शिक्षकों की एक समिति गठित की जाएगी। उक्त घोषणा शिक्षा राज्यमंत्री पंकज भोयर ने विधान परिषद में की। वहीं इस विषय पर सरकार से संतोषजनक उत्तर न मिलने के कारण विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर नाराजी जताई।
विप सदस्य किरण सरनाईक ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से सदन में उक्त मुद्दा उठाते हुए राज्य सरकार से कुछ ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया है। जिन शिक्षकों के पास टीईटी नहीं है, उन्हें सेवा से हटाया जाएगा। इससे 20 से 25 वर्ष की सेवा देने वाले शिक्षकों की बड़ी समस्या खड़ी होगी।
जवाब में राज्यमंत्री भोयर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर ही टीईटी को अनिवार्य किया गया है। इस निर्णय के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का सरकार का विचार था लेकिन विधि एवं न्याय विभाग ने ऐसा करना संभव नहीं बताया। इस पर विक्रम काले ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता से चर्चा करने का सुझाव दिया।
कई शिक्षक तथा शिक्षक संघों ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं दायर की हैं, इसलिए उनकी सुनवाई होने तक इस निर्णय को लागू न करने का अनुरोध अभिजीत वंजारी ने किया। परंतु भोयर ने टीईटी लागू करने को टालने से इनकार किया लेकिन महाधिवक्ता से चर्चा करने पर सहमति जताई।
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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति में 5 वर्ष बचे शिक्षकों के प्रमोशन पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन विपक्ष टीईटी पर ठोस समाधान की मांग पर अड़ा रहा। भोयर से सकारात्मक उत्तर न मिलने के कारण विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया। इस चर्चा में विक्रम काले और जगन्नाथ अभ्यंकर ने भी हिस्सा लिया।






