अधिकारी-कर्मचारियों पर गिरेगी गाज। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: बोगस शालार्थ आईडी और फर्जी तरीके से हुई मुख्याध्यापक की नियुक्ति के मामले की समिति ने जांच शुरू कर दी है। शिक्षा उपनिदेशक, माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षा अधिकारी तथा वेतन दल अधीक्षक कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी सभी दस्तावेजों के साथ पुणे पहुंच चुके हैं। उन्होंने समिति को दस्तावेज सौंप दिए हैं और समिति उन सभी की जांच करेगी। भंडारा जिले में एक शिक्षक को फर्जी स्कूल आईडी देने के आरोप में शिक्षा उपसंचालक उल्हास नरड़, बोगस मुख्याध्यापक पराग पुड़के, अधीक्षक नीलेश शंकरराव मेश्राम, निरीक्षक संजय शंकरराव दुधालकर और लिपिक सूरज पुंजाराम नाइक के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद पुलिस ने बुधवार दोपहर पांचों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया। अन्य आरोपियों का पता लगाने और प्रकरण से संबंधित दस्तावेज जब्त करने के लिए 3 दिन की हिरासत बढ़ाने की मांग की गई। न्यायालय ने पांचों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल रवाना कर दिया है। इस मामले ने एक बार फिर नागपुर जिले में फर्जी शिक्षक भर्ती का मुद्दा प्रकाश में ला दिया है। अब शिक्षा निदेशक स्तर पर इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शिक्षा उपनिदेशक, माध्यमिक, प्राथमिक शिक्षा अधिकारी और वेतन दल अधीक्षक कार्यालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को पुणे बुलाया गया। उन्हें वर्ष 2012 से अब तक शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों के साथ अन्य आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए। तदनुसार, यह ज्ञात है कि वे सभी दस्तावेज अपने साथ ले गए। चूंकि दस्तावेज हजारों की संख्या में हैं, इसलिए समिति को जांच में एक महीने से अधिक समय लग सकता है। वहीं, फर्जी शिक्षक भर्ती मामले की जांच शुरू होने के साथ ही स्कूल की आईडी ब्लॉक कर दी गई है। अतः ज्ञातव्य है कि शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया है।
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बता दें कि, फर्जी शिक्षक मामले में शिक्षा उपनिदेशक उल्हास नरड़ ने स्वयं साइबर पुलिस में कंप्यूटर हैक कर स्कूल आईडी बनाने की शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में साइबर पुलिस द्वारा जांच शुरू कर दी गई है। समझा जाता है कि पुलिस जांच में पता चला है कि मोबाइल फोन हैक नहीं हुआ था। ऐसी संभावना है कि इनमें से कुछ के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
पुडके प्रकरण में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा अधिकारी पटवे के हस्ताक्षर हैं। पटवे ने दावा किया है कि यह हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। इसलिए, यह ज्ञात है कि उनके समय की कुछ फाइलें हस्ताक्षर सत्यापन के लिए पुलिस द्वारा ली गई थीं।