अब नहीं लगेगा स्टैम्प पेपर, दस्तावेज़ बनवाने की झंझट खत्म (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: महाराष्ट्र सरकार ने आम जनता को बड़ी राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब शैक्षणिक प्रमाणपत्र, जाति, आय, निवासी, नॉन-क्रीमीलेयर और राष्ट्रीयता जैसे दस्तावेज़ों के लिए ₹100 या ₹500 के स्टैम्प पेपर की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। इसके साथ ही अदालत में प्रस्तुत किए जाने वाले शपथपत्र (अफिडेविट) भी अब केवल सामान्य कागज पर स्वयं प्रमाणित (सेल्फ-अटेस्टेड) रूप में स्वीकार किए जाएंगे। यह जानकारी राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो चुकी है।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने राज्यभर के विभागीय आयुक्तों, जिलाधिकारियों, उपविभागीय अधिकारियों और तहसीलदारों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि स्टैम्प पेपर की मांग अब कानून के खिलाफ है। यदि भविष्य में इस तरह की कोई शिकायत सामने आती है, तो संबंधित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। “यह फैसला आम नागरिकों, विशेषकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए राहत लेकर आया है। यदि कोई अधिकारी पुरानी व्यवस्था के तहत नागरिकों को परेशान करता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।”
मंत्री ने बताया कि यह नियम राज्य में वर्ष 2004 से लागू है। बावजूद इसके, अब तक कई तहसील और जिला कार्यालयों में पुराने ढर्रे पर चलते हुए स्टैम्प पेपर की अनिवार्यता बरकरार रखी गई थी। इससे छात्रों, किसानों, बेरोजगारों और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों को अनावश्यक आर्थिक बोझ उठाना पड़ता था।
शैक्षणिक दाखले, शपथपत्रासाठी स्टॅम्पपेपरची मागणी नियमबाह्य!
उत्पन्नाचा दाखला, रहिवासी प्रमाणपत्र, नॉन क्रिमीलेअर प्रमाणपत्र, राष्ट्रीयत्व प्रमाणपत्र तसेच न्यायालयासमोर दाखल करायच्या सर्व प्रकारच्या प्रतिज्ञापत्रासाठी स्टॅम्प पेपर दोन महिन्यापूर्वीच रद्द करण्यात आले आहेत. आता… pic.twitter.com/dhvu4LF6Jc
— Chandrashekhar Bawankule (@cbawankule) June 7, 2025
पहले दस्तावेज़ बनवाने के लिए नागरिकों को अदालत या कार्यालयों के बाहर लंबी कतारों में लगकर स्टैम्प पेपर खरीदने पड़ते थे। अब सिर्फ एक साधारण कागज पर स्वयं सत्यापित घोषणा पर्याप्त होगी। यह फैसला विद्यार्थियों, अभिभावकों, बेरोज़गार युवाओं, किसानों और ग्रामीण जनता के लिए विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होगा।
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मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकार नहीं चाहती कि आम जनता बेवजह कानूनी प्रक्रियाओं में उलझे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी नागरिकों से स्टैम्प पेपर की मांग करता पाया गया, तो यह कदाचार माना जाएगा और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।