
रीजनल फोरेंसिक लैब निर्माण (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: महानगरपालिका के नगर रचना विभाग ने रहाटेनगर चौक पर निर्मित हो रही रीजनल फोरेंसिक लैब की इमारत के लिए दी गई मंजूरी की शर्तों का उल्लंघन होने का हवाला देते हुए उपसंचालक को मामले में नोटिस जारी किया है। गुरुवार को मनपा द्वारा जारी किए गए नोटिस के अनुसार 7 दिनों में स्पष्टीकरण मांगा गया है। यदि सकारात्मक जवाब नहीं दिया गया तो अगली कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गई है।
नोटिस में स्पष्ट रूप से जानबूझकर शर्तों के उल्लंघन के कारण बिल्डिंग परमिट और प्रारंभ प्रमाणपत्र को रद्द करने का अनुरोध है, अत: बिल्डिंग परमिट रद्द करने की तैयारी होने की जानकारी सूत्रों ने दी। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर रचना विभाग को इस संदर्भ में पर्यावरण मित्र सचिन खोबरागडे और अनुसूया काले छाबरानी द्वारा की गईं शिकायतें 3 अलग-अलग तारीखों को कार्यालय को प्राप्त हुई थीं।
महानगरपालिका ने उपसंचालक से अनुरोध किया है कि वे आवेदन/शिकायत में लगाए गए आरोपों के संबंध में अपना खुलासा या स्पष्टीकरण 7 दिनों के भीतर नगर रचना विभाग के कार्यालय में जमा करें। मनपा का कहना है कि यह स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद ही इस प्रकरण में आगे की कार्यवाही करना संभव हो सकेगा। यह नोटिस उपसंचालक, नगर रचना विभाग द्वारा जारी किया गया है।
उचित कार्यवाही के लिए उद्यान विभाग के सहायक आयुक्त को इसकी प्रति भेजी गई है। शिकायतकर्ता खोबरागडे ने कहा कि परमिट की शर्त 33 स्पष्ट रूप से यह अनिवार्य करती है कि किसी भी निर्माण कार्य शुरू करने से पहले आवेदक को मनपा के उपायुक्त (उद्यान) से पेड़ काटने की अनुमति प्राप्त करनी होती है। शिकायत में कहा गया है कि आज तक ऐसी कोई अनुमति प्राप्त नहीं की गई है। अनुमति न मिलने के बावजूद निर्माण कार्य पिछले 8 महीनों से जारी है और यह अब स्लैब स्तर तक पहुंच गया है।
यह भी पढ़ें – 1800 करोड़ के लैंड स्कैम में फंसे पार्थ, बैकफुट पर अजित पवार, MVA का प्रहार, मचा सियासी तूफान!
यह भी बताया गया है कि क्षेत्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला ने अन्य शर्तों का भी उल्लंघन किया है। शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि ये बार-बार और सोच-समझकर किए गए उल्लंघन भवन निर्माण परमिट की शर्तों का जानबूझकर उल्लंघन माने जाते हैं। अतः शिकायतकर्ताओं ने मनपा आयुक्त से नियमों का पालन न करने और जानबूझकर उल्लंघन के आधार पर क्षेत्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला को दिए गए भवन परमिट और कार्य प्रारंभ प्रमाणपत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा कि साइट पर प्रत्यक्ष अवलोकन किए जाने के बाद पूरा निर्माण 20,000 वर्ग मीटर से अधिक होने का खुलासा हुआ है। ऐसे में पर्यावरण विभाग की मंजूरी भी आवश्यक होती है। 16 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार पर्यावरण मंजूरी के बिना निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। आश्चर्यजनक यह है कि मनपा के टाऊन प्लानिंग विभाग ने 18,000 वर्ग मीटर के निर्माण को दर्ज कर नक्शा मंजूर किया था।






