निजी बसे (फाइल फोटो)
Nagpur Travels Buses: हाई कोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं ने 12 अगस्त 2025 को यातायात उपायुक्त द्वारा जारी नोटिफिकेशन को पहले चुनौती दी थी किंतु अब इस नोटिफिकेशन को वापस लिए जाने के कारण याचिकाकर्ताओं ने नये सिरे से जारी 12 सितंबर 2025 के नोटिफिकेशन को चुनौती देने के लिए याचिका में सुधार करने की अनुमति देने की मांग की।
बुधवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका में सुधार करने की अनुमति प्रदान कर एक सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता तुषार मंडलेकर और राज्य सरकार की सहायक सरकारी वकील उके ने पैरवी की।
बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे अधिवक्ता तुषार मंडलेकर ने कहा कि उपायुक्त यातायात द्वारा 12 सितंबर 2025 को जारी नये नोटिफिकेशन में और अधिक जटिल शर्तें लगा दी हैं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की पैरवी कर रहे अधि। उके ने कहा कि चूंकि पहले नोटिफिकेशन को वापस ले लिया है। ऐसे में अब याचिका को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।
यदि याचिकाकर्ता को नये नोटिफिकेशन को चुनौती देनी हो तो उन्हें नई याचिका दायर करनी चाहिए। इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि पुरानी याचिका में की गई प्रार्थनाओं में से केवल पहली प्रार्थना का ही औचित्य समाप्त हो गया है किंतु अन्य प्रार्थनाएं अभी बची हैं। ऐसे में इस याचिका का निपटारा नहीं किया जा सकता है।
अधिवक्ता मंडलेकर ने यह भी स्पष्ट किया कि यातायात पुलिस को बस स्टैंड या पार्किंग स्थल तय करने का अधिकार नहीं है, यह अधिकार केवल आरटीए (क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण) के पास है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि यह कदम सरकारी बस सेवा, एमएसआरटीसी को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है क्योंकि इस आदेश में सरकारी बसों को छूट दी गई है।
यह भी पढ़ें – नागपुर में फिर दोहराया गया कुश कटारिया हत्याकांड, फिरौती के लिए 11 साल के मासूम की बलि
उनके अनुसार यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 19(1)(जी) (व्यवसाय की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है। गत सुनवाई के दौरान यातायात विभाग ने अदालत को सूचित किया कि भारतीय लाइसेंसधारी बसों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। अदालत ने यह महत्वपूर्ण सवाल भी उठाया कि शहर में पर्याप्त बस टर्मिनल या पार्किंग की सुविधा क्यों उपलब्ध नहीं कराई गई है। ट्रैवल एसोसिएशन के अनुसार, टर्मिनल निर्माण की बार-बार मांग के बावजूद अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।