रेत घाटों के आवंटन रद्द करने के फैसले पर मुहर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur High Court Order: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने रेत घाटों के आवंटन से संबंधित अनुबंध रद्द करने और सुरक्षा जमा राशि जब्त करने के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि रेत डिपो पर 24×7 सीसीटीवी निगरानी सुनिश्चित न करना रेत नीति और अनुबंध की शर्तों का गंभीर उल्लंघन है।
मेसर्स सुपर ट्रेडिंग कंपनी, राहुल माहूरकर सहित अन्य ठेकेदारों द्वारा दायर याचिकाओं में सरकारी कार्रवाई को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं को रेत घाटों के आवंटन के लिए सफल बोलीदाता घोषित किया गया था और उनके साथ विधिवत अनुबंध किया गया था। इस अनुबंध में 16 फरवरी 2024 की रेत नीति और संबंधित सरकारी प्रस्तावों में निर्धारित सभी शर्तों का पालन करना अनिवार्य था।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि बिजली कटौती के कारण वे 24 घंटे का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं करा सके। अदालत ने कहा कि अनुबंध की शर्तों के अनुसार बिजली आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में ठेकेदारों के लिए जनरेटर की व्यवस्था करना अनिवार्य था, ताकि निगरानी प्रणाली प्रभावित न हो।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जहां बिजली ग्रिड उपलब्ध नहीं है, वहां सौर ऊर्जा आधारित सीसीटीवी सिस्टम लगाया जा सकता था, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने ऐसी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। ठेकेदारों का यह दावा भी अदालत ने खारिज कर दिया कि उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। अदालत ने कहा कि कार्रवाई से पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और जवाबों पर विचार करने के बाद ही निर्णय लिया गया।
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ठेकेदारों ने यह भी तर्क दिया कि बाढ़ के कारण रेत का स्टॉक बह गया था, लेकिन अदालत ने कहा कि पंचनामा में इस संबंध में कोई स्पष्ट निष्कर्ष दर्ज नहीं है। इसे ‘तथ्यों का विवाद’ बताते हुए अदालत ने कहा कि ऐसे मुद्दों का निपटारा रिट अधिकार क्षेत्र में नहीं किया जा सकता।
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन सिद्ध है और याचिकाकर्ता 24×7 सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने में विफल रहे हैं। इसी आधार पर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।