ओबीसी को जगाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मंडल यात्रा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: महाराष्ट्र की राजनिती के चाणक्य कहे जाने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद शरद पवार अब महाराष्ट्र में नया दाव लगाने जा रहे है। इस बार वे ओबीसी भाईयों को साथ लेकर राजनिती के आयाम बदलने कि फिराक में है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार गुट) द्वारा 9 अगस्त को नागपुर में ओबीसी जागृति हेतु एक मंडल यात्रा निकाली जाएगी, जिसका शुभारंभ स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद शरद पवार करेंगे।
यह मंडल यात्रा भाजपा की ओबीसी विरोधी नीतियों और शरद पवार द्वारा ओबीसी समुदाय के लिए किए गए कार्यों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निकाली जा रही है। युवा नेता सलिल देशमुख ने बताया कि पहले चरण में यह यात्रा विदर्भ के 11 जिलों में जाएगी और तालुकाओं में सभाएं आयोजित की जाएंगी।
राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए शरद पवार ने राज्य में मंडल आयोग लागू किया था। महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बना। कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। आज भाजपा का ओबीसी प्रेम पूतना मौसी जैसा है। शरद पवार ने ओबीसी के लिए क्या किया? राज्य की जनता को यह बताने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद चंद्र पवार पार्टी के ओबीसी प्रकोष्ठ के माध्यम से प्रदेश अध्यक्ष राज राजापुरकर के नेतृत्व में पूरे राज्य में मंडल यात्रा निकाली जाएगी।
यह यात्रा क्रांति दिवस 9 अगस्त को नागपुर से शुरू होगी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार स्वयं इस यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए उपस्थित रहेंगे, यह जानकारी पार्टी के युवा नेता सलिल देशमुख ने दी।
मंडल आयोग का कार्यान्वयन ओबीसी के जीवन में सबसे बड़ा सामाजिक परिवर्तन था। स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में 1953 में काका कालेलकर आयोग के गठन से लेकर 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार में मंडल आयोग की सिफ़ारिशों के कार्यान्वयन और राज्य के मुख्यमंत्री शरद पवार के कार्यकाल में मंडल आयोग की सिफ़ारिशों के कार्यान्वयन तक, ओबीसी को अपना वाजिब आरक्षण पाने में लगभग 40 साल लग गए। मंडल आयोग की सिफ़ारिशों के कार्यान्वयन के कारण ओबीसी के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन आए।
ये भी पढ़े: वणी में भाजपा को बड़ा झटका! उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में नेताओं का पार्टी प्रवेश
ओबीसी समुदाय को आधिकारिक और वैध आरक्षण दिया गया। शिक्षा और नौकरियों के साथ-साथ, राजनीतिक आरक्षण के माध्यम से, ओबीसी समुदाय के युवाओं को स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के माध्यम से महापौर, सरपंच, जिला परिषद अध्यक्ष, अध्यक्ष और महापौर बनने का अवसर मिला।
दूसरी ओर, भाजपा ने ओबीसी आरक्षण का विरोध करने के लिए कमंडल यात्रा निकाली थी। सलिल देशमुख ने यह भी आरोप लगाया है कि भाजपा हमेशा से ओबीसी समुदाय के खिलाफ रही है। राजनीति में ही नहीं, शिक्षा और नौकरियों में भी ओबीसी के आरक्षण को समाप्त करने के कई प्रयास किए गए।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित देश के सभी विपक्षी दल ओबीसी की जातिवार जनगणना की मांग कर रहे थे। भाजपा ने इसका विरोध किया। अंततः बढ़ते दबाव के कारण, केंद्र सरकार ने ओबीसी की जातिवार जनगणना की घोषणा की। हालांकि, यह जनगणना कब कराई जाएगी, इसकी कोई घोषणा नहीं की गई।