कैसे संभलेगा बेलगाम ट्रैफिक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Winter Session Nagpur: नागपुर शहर में 8 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानमंडल के शीत सत्र की तैयारी के बीच ट्रैफिक व्यवस्था पहले ही नियंत्रण से बाहर है। निजी ट्रैवल्स बसों द्वारा नियमों की अवहेलना, बिना रोक-टोक शहर में प्रवेश और मनमर्जी स्टॉप रोजमर्रा की बात हो गई है। ऐसे में सत्र के दौरान जब बड़ी संख्या में बाहरी वाहन, मंत्री और विधायकों के समर्थकों के वाहन शहर में आएंगे, तो ट्रैफिक पुलिस इस अतिरिक्त बोझ को कैसे संभालेगी, यह बड़ा सवाल है।
शहर की मौजूदा स्थिति चिंताजनक है। ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था आम हो चुकी है। खासकर निजी ट्रैवल्स बसों द्वारा शहर के प्रमुख मार्गों-विशेष रूप से इनर रिंग रोड पर यात्रियों को पिकअप-ड्रॉप करना, अवैध स्टॉप लेना और सड़क किनारे पार्क करना सामान्य बात है।
पिछले कुछ महीनों में ट्रैफिक पुलिस ने पाबंदी लगाई थी कि सुबह 8 से रात 10 बजे तक इनर रिंग रोड पर किसी भी प्राइवेट बस को पिकअप-ड्रॉप की अनुमति नहीं होगी। बावजूद इसके अनेक बस चालक नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं, जिससे आम नागरिकों की आवाजाही मुश्किल बनी हुई है।
सत्र के दौरान राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता, मंत्री, विधायक और अन्य गणमान्य लोग भारी संख्या में शहर में पहुंचेंगे। इनके साथ आने वाले सैकड़ों वाहनों का दबाव ट्रैफिक को और विकट स्थिति में पहुंचा देगा। अवैध पार्किंग, मनमर्जी स्टॉप और बढ़ते वाहन-प्रवाह को रोकना ट्रैफिक पुलिस के लिए कठिन चुनौती होगा।
सत्र के दौरान अतिरिक्त ट्रैफिक नियंत्रण के लिए मुंबई सहित अन्य शहरों की ट्रैफिक पुलिस की मदद ली जा सकती है। लेकिन वर्तमान हालात बतौर उदाहरण सामने हैं—सड़क दुर्घटनाओं में हाल ही में 8 से 10 लोगों ने जान गंवाई है। यह संकेत है कि यदि अतिरिक्त वाहनों का सैलाब शहर में आया, तो व्यवस्था बुरी तरह चरमराएगी।
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भले ही कुछ प्रमुख चौराहों पर हाई-टेक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लगाए गए हों, परंतु अवैध बस स्टॉप, मनमानी पार्किंग, सीमित पुलिस संसाधन और बड़े आयोजनों में अचानक बढ़ते ट्रैफिक का दबाव यह सब दर्शाता है कि शीत सत्र के दौरान ट्रैफिक व्यवस्था ‘व्यवस्थित’ नहीं, बल्कि काफी हद तक संकटग्रस्त रहने की संभावना है। सवाल यही है क्या प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के पास इस दबाव को संभालने की पर्याप्त योजना, संसाधन और इच्छाशक्ति है?