शीतसत्र अधिवेशन : बेरंग दिखा पहला दिन
Nagpur Winter Session: नागपुर शीतसत्र अधिवेशन की शुरुआत सोमवार को नागपुर में हुई। पूरे वर्ष राजनीतिक रूप से प्रतीक्षित इस अधिवेशन को लेकर हमेशा ही उत्साह देखने को मिलता रहा है, परंतु इस बार तस्वीर कुछ अलग रही। केवल 7 दिनों के छोटे कार्यक्रम के बावजूद पहले ही दिन माहौल फीका नजर आया। न पक्ष का जोश देखने को मिला और न विपक्ष का तेवर। परिसर में मौजूद लोग इस ठंडे राजनीतिक वातावरण से आश्चर्यचकित दिखे।
आमतौर पर अधिवेशन की शुरुआत होते ही सुबह से विधान भवन परिसर में भीड़ बढ़ने लगती है। विधायक, उनके निजी सहायक, समर्थक और मीडिया कर्मियों की चहल-पहल परिसर को जीवंत रखती है। इस बार हालांकि आगमन सुबह से शुरू हुआ, लेकिन संख्या बेहद कम रही। कई प्रमुख नेता पहले दिन अनुपस्थित रहे। जिनके आक्रामक वक्तव्य और बहसें शीतसत्र की पहचान रही हैं, वे भी नदारद दिखे।
हर साल महिला बचत गटों के स्टॉल परिसर की रौनक बढ़ाते हैं। घरेलू उत्पाद और पारंपरिक खानपान लोगों को आकर्षित करते हैं। लेकिन इस बार स्टॉल पहले दिन खाली दिखाई दिए। न तो उत्पाद रखे गए और न ही खोलने की तैयारी दिखी। चर्चा है कि केवल 7 दिनों के कार्यक्रम में कम भीड़ वाले दिनों के कारण कई समूहों ने प्रतीक्षा का विकल्प चुना है ताकि नुकसान से बचा जा सके।
विपक्ष की नारेबाजी और प्रदर्शन हर वर्ष मीडिया की सुर्खियां बनते हैं।आमतौर पर नेता पोस्टर-बैनर लेकर विधान भवन की ओर बढ़ते हैं। सोमवार को ऐसा कोई दृश्य देखने को नहीं मिला। परिसर में शांति और ठहराव का वातावरण रहा। नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति पर विवाद ने विपक्ष की एकजुटता और रणनीति को प्रभावित किया है।
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पहले दिन कार्यकर्ताओं की कमी साफ दिखाई दी। आम तौर पर परिसर कार्यकर्ताओं से खचाखच भरा रहता है, पर इस बार अधिकारी और निजी सहायक ही अधिक नजर आए। पास वितरण केंद्र और सुरक्षा जांच व्यवस्था भी सामान्य से कम सक्रिय दिखी। जहां आमतौर पर लंबी कतारें होती थीं, इस बार सन्नाटा नजर आया।
अब सवाल यह है कि क्या आने वाले 6 दिनों में अधिवेशन का तापमान बढ़ेगा? क्या विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़ा करेगा और क्या महिला बचत गट अपने स्टॉल लगाकर परिसर में फिर से रौनक लाएँगे? फिलहाल पहला दिन संकेत दे गया है कि राजनीति का उत्साह इस बार ठंड के मौसम की तरह ही जम चुका है। जनता को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीर चर्चा हो और अधिवेशन अपनी परंपरागत गरिमा को बनाए रखे। शीतसत्र का पहला दिन इतिहास में एक “बेरंग शुरुआत” के रूप में दर्ज हो गया।