
फाइल फोटो
2,864 Crore Water Project Stuck: शहर का दायरा लगातार बढ़ रहा है। अब ‘नया नागपुर’ भी बनने जा रहा है और शहर के चारों ओर एनएमआरडीए क्षेत्र का भी तेजी से विकास हो रहा है। शहर के इस बढ़ते विस्तार को ध्यान में रखते हुए, 2014-19 के दौरान देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने नागपुर शहर और जिले की पानी की समस्या को स्थायी रूप से हल करने के लिए 2,864 करोड़ रुपये की परियोजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
वर्तमान में यह परियोजना केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए लंबित है और अब इसकी लागत बढ़कर 4,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। भविष्य में पानी की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए राज्य सरकार ने इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। विशेष बात यह है कि अब नई बढ़ी हुई लागत के लिए भी मंजूरी लेनी होगी।
शहर को नवेगांव खैरी और तोतलाडोह बांधों से पानी की आपूर्ति होती है। इसके अलावा कन्हान नदी से भी पानी की आपूर्ति की जाती है जिससे शहर को 720 एमएलडी पानी मिलता है। हालांकि प्रकृति की अनिश्चितता के कारण 2019 में मनपा को ऐन बरसात के मौसम में यानी जुलाई-अगस्त में एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति का फैसला लेना पड़ा था। यह पहली बार था जब कम बारिश के कारण मनपा को यह निर्णय लेना पड़ा।
इस जल संकट से कृषि भी प्रभावित हुई थी और पेंच बांध के अंतर्गत 60% बुआई रुक गई थी। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मध्य प्रदेश के चौराई बांध से पानी प्राप्त करने का प्रयास किया था लेकिन बाद में बढ़ते शहर की भविष्य की पानी की जरूरतों को देखते हुए एक बड़ी परियोजना तैयार करने की पहल की गई। अब यह प्रस्ताव विभिन्न अनुमतियों के लिए केंद्र सरकार के पास लंबित है।
शहर में पानी की गंभीर कमी को दूर करने के लिए 2018-19 में तत्कालीन युति (गठबंधन) सरकार ने 2,864 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी।
मूल रूप से इस परियोजना को 5 साल में यानी 2023-24 तक पूरा करने की घोषणा की गई थी। इसके लिए वर्षवार खर्च का मसौदा भी तैयार किया गया था जिसमें 2019-20 से 2023-24 तक कुल 2,864 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव था।
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सुरंग के माध्यम से 10 टीएमसी पानी तोतलाडोह जलाशय में मोड़ने के प्रस्ताव को 2018-19 में युति सरकार के मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। इस परियोजना के लिए 2,864 करोड़ रुपये के खर्च को भी मंजूरी दी गई थी। अब इस परियोजना की फाइल विभिन्न अनुमति और मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास है। इस परियोजना की कीमत अब 4,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।






